'पति के पराक्रम और साहस ने नहीं छलकने दिए आंसू': अशोक चक्र से सम्मानित वानी की पत्नी

Edited By Seema Sharma,Updated: 25 Jan, 2019 03:50 PM

did not cry on the news of husband s martyrdom shaheed nazir wani wife

कहते हैं न कि कच्ची उमर का प्यार बड़ा खास होता है। लांस नायक नजीर अहमद वानी और महजबीन के लिए भी उनका प्यार बड़ा ही खास था। 15 साल पहले दक्षिण कश्मीर के स्कूल में पहली नजर में ही दोनों एक-दूसरे को दिल दे बैठे थे।

नई दिल्लीः कहते हैं न कि कच्ची उमर का प्यार बड़ा खास होता है। लांस नायक नजीर अहमद वानी और महजबीन के लिए भी उनका प्यार बड़ा ही खास था। 15 साल पहले दक्षिण कश्मीर के स्कूल में पहली नजर में ही दोनों एक-दूसरे को दिल दे बैठे थे। वानी करीब डेढ़ महीने पहले शोपियां में आतंकवादियों के खिलाफ एक अभियान के दौरान शहीद हो गए। इसके कई हफ्ते गुजरने के बाद महजबीन कहती हैं वानी का प्यार और उनका निडर होना, मुझे हर पल हिम्मत देता है कि मैं अपने दोनों बच्चों को अच्छा नागरिक बनाऊं। शांतिकाल के सर्वोच्च सैन्य सम्मान ‘अशोक चक्र’ से वानी को सम्मानित करने की घोषणा के बाद महजबीन ने कहा कि जब मुझे बताया गया कि वह नहीं रहे, मैं रोई नहीं थी। मेरे भीतर एक ताकत थी जिसने मुझे आंसू बहाने नहीं दिए।

उन्होंने कहा कि वह मुझसे बहुत प्यार करते थे। वह मेरे नूर थे। वह हमेशा आसपास के लोगों को खुश रखना और उनकी समस्याओं को सुलझाना सिखाते थे। उन्होंने कहा कि शिक्षक होने के नाते, मैं राज्य के लिए अच्छे नागरिक विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध हूं। युवाओं को सही दिशा दिखाना मेरा लक्ष्य है। मैं इसकी प्रेरणा अपने पति से लेती हूं, वह दुनिया में सबसे अच्छे हैं। दोनों की मुलाकात और बाकी जिन्दगी के बारे में बात करते हुए महजबीन ने बताया, ‘‘हम स्कूल में मिले। पहली नजर का प्यार था। वह बहुत अच्छे पति थे। हमेशा हमारी रक्षा की। उन्होंने बताया कि 25 नवंबर को वानी के शहीद होने की खबर जब मिली तो वह अपने मायके में थीं। वानी ने एक दिन पहले ही उसे फोन करके हाल-चाल पूछा था। सब ठीक था, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

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