जम्मू कश्मीर बजट: जानिये बजट को लेकर किसने क्या कहा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Jan, 2018 01:50 PM

different views on budget

जम्मू कश्मीर विधानसभा में वित्त मंत्री डा हसीब द्राबू ने बजट पेश कर दिया है। बजट को लेकर विभिन्न राजनीतिक पार्टियों की विभिन्न प्रतिक्रियाएं रहीं। जहां एक तरफ सत्ता पक्ष ने इसे जनहित करार दिया तो वहीं विपक्ष ने इसका विरोध किया।

जम्मू: जम्मू कश्मीर विधानसभा में वित्त मंत्री डा हसीब द्राबू ने बजट पेश कर दिया है। बजट को लेकर विभिन्न राजनीतिक पार्टियों की विभिन्न प्रतिक्रियाएं रहीं। जहां एक तरफ सत्ता पक्ष ने इसे जनहित करार दिया तो वहीं विपक्ष ने इसका विरोध किया। 
 पी.डी.पी. अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि पिछले कुछ समय में उन्होंने राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर जनसंपर्क के दौरान लोगों से जो प्रतिक्रिया हासिल की, उन्हीं जन आकांक्षाओं के अनुरूप ही राज्य सरकार का बजट तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि यह बजट पूरी तरह राज्य के विकास और जनकल्याण को केंद्र में रखते हुए बनाया गया है और इससे निश्चित तौर पर राज्य के विकास को गति मिलेगी। बजट प्रस्तावों में राज्यभर में जारी 1000 विकास योजनाओं को पूरा करने और विशेष तौर पर पेयजल योजनाओं पर विशेष जोर दिया गया है। इससे राज्य के सामाजिक-आर्थिक ढांचे को बहुत मजबूती मिलेगी। 

जनकल्याणकारी है वार्षिक बजट : डा. निर्मल सिंह
वरिष्ठ भाजपा नेता एवं उप-मुख्यमंत्री डा. निर्मल सिंह ने कहा कि आज विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश किया गया राज्य सरकार का बजट जनकल्याणकारी है। इस बजट में राज्य के विकास को गति प्रदान करना सुनिश्चित करने के साथ-साथ समाज के तमाम वर्गों की जरूरतों को भी ध्यान में रखा गया है। सरकार ने कर्मचारियों और उद्यमियों की लम्बित मांगों को भी पूरा किया है। उन्होंने बजट को हर क्षेत्र के लिए सकारात्मक बताते हुए कहा कि बजट प्रस्तावों में राज्य के तीनों खित्तों की जरूरतों के अनुसार समान विकास को सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है। 


पूरी तरह दिशाहीन है वार्षिक बजट : पवन गुप्ता
पूर्व वित्त राज्यमंत्री एवं ऊधमपुर विधायक पवन कुमार गुप्ता ने कहा कि सरकार का वार्षिक बजट पूरी तरह दिशाहीन है, क्योंकि इसमें बेरोजगारी जैसे गंभीर समस्या से निपटने और राज्य के माध्यम एवं छोटे शहरों, कस्बों, गांवों के विकास पर कोई रोडमैप नहीं दिया गया है। पावर बांड की बात कई वर्ष से की जा रही है, लेकिन सरकार इसमें भी कुछ नहीं कर पाई है। सरकार ने राज्य में ढांचागत विकास के लिए निर्धारित बजट को भी आगामी वित्त वर्ष में कम कर दिया है, जिससे राज्य की विकास परियोजनाएं निश्चित तौर पर प्रभावित होंगी। 

सीमावर्ती लोगों और किसानों का जिक्र तक नहीं : डा. अरोड़ा
नैशनल कांफ्रैंस के वरिष्ठ नेता एवं बिश्नाह विधायक डा. कमल अरोड़ा ने कहा कि राज्य सरकार के बजट में पाकिस्तानी गोलाबारी से जूझ रहे सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों और राज्य की 65 प्रतिशत आबादी किसानों का जिक्र तक नहीं है। सीमावर्ती लोगों की 5-5 मरले के प्लाट और जमीनों का मुआवजे की मांग काफी समय से लम्बित है, लेकिन सरकार ने इसकी घोर अनदेखी की है। इसी प्रकार, पिछले बजटों में किसानों को खाद, बीज, दवाइयों और कृषि उपकरणों में सब्सिडी का प्रावधान किया जाता था, लेकिन इस बार सरकार ने इसकी बात तक नहीं की है। इस प्रकार यह बजट पूरी तरह नकारात्मक बजट है। 

केवल शहरों का बजट, गांवों की अनदेखी : सरूरी
पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस विधायक गुलाम मोहम्मद सरूरी ने कहा कि वित्तमंत्री द्वारा पेश किया गया बजट केवल शहरों का बजट है और इसमें राज्य के दूरदराज एवं पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों की बुरी तरह अनदेखी की गई है। सरकार ने सभी विकास परियोजनाओं एवं रोजगार को शहरों विशेषकर दोनों राजधानी शहरों तक सीमित करके रख गया है। पिछले बजटों में पिछड़े क्षेत्रों के लिए विशेष मदद का प्रावधान किया जाता था, लेकिन इस बार दूरदराज, पिछड़े व ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सरकार की कोई योजना नहीं है। मनरेगा के मजदूरों का 2-2 साल का बकाया और इंदिरा आवास योजना की 3-3 किस्तें बकाया पड़ी हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है। 
 

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