Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Apr, 2018 10:19 AM
बहराइच से भाजपा सांसद सावित्री बाई फुले ने चुपचाप जनता दल (यू) के असंतुष्ट नेता शरद यादव से मुलाकात की तो पार्टी नेतृत्व में हलचल मच गई। वास्तव में फुले ने अपनी ही सरकार के खिलाफ 1 अप्रैल को रोष प्रदर्शन करने के बाद यादव से मुलाकात की। उन्होंने आरोप...
नेशनल डेस्कः बहराइच से भाजपा सांसद सावित्री बाई फुले ने चुपचाप जनता दल (यू) के असंतुष्ट नेता शरद यादव से मुलाकात की तो पार्टी नेतृत्व में हलचल मच गई। वास्तव में फुले ने अपनी ही सरकार के खिलाफ 1 अप्रैल को रोष प्रदर्शन करने के बाद यादव से मुलाकात की। उन्होंने आरोप लगाया कि आरक्षण को खत्म करने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि वह आरक्षण खत्म करने के प्रयासों का विरोध करने के लिए अपनी ही सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर देंगी। 2 अप्रैल को दलितों द्वारा भारत बंद आयोजित करने का भाजपा के दलित नेताओं पर काफी प्रभाव पड़ा है। वे भविष्य के लिए अपनी रणनीति तैयार करने के लिए निरंतर वार्ताएं कर रहे हैं।
सावित्री बाई फुले ने शरद यादव से उनके निवास पर मुलाकात की थी और भावी कार्रवाई पर चर्चा की थी। ऐसी चर्चा है कि कम से कम 4 भाजपा सांसदों का यादव के साथ सम्पर्क है और दलितों के मामले से जिस ढंग से भाजपा सरकार निपट रही है उसको देखते हुए उन्होंने अपना असंतोष जाहिर किया है। भाजपा के एक अन्य दलित सांसद उदित राज ने भी अपनी आवाज बुलंद की और प्रधानमंत्री ने निजी तौर पर उनसे बात की। प्रधानमंत्री ने उनसे कहा कि बी.आर. अम्बेदकर के स्मारक का अनावरण करने के लिए वह मैट्रो में उनके साथ चलें।
सरकार उस समय बहुत परेशान हुई जब केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी प्रमुख रामविलास पासवान ने स्वीकार किया कि एस.सी./एस.टी. एक्ट से अत्याचार निरोधक को हटाने को चुनौती देने के लिए उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका पहले दायर की जा सकती थी। यद्यपि सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर की है और वायदा किया है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश को कमजोर करने के लिए अध्यादेश लाया जाएगा। सरकार ने मंत्रिमंडल में दलितों को अधिक प्रतिनिधित्व देने का वायदा भी किया है।