शहीद के कफन पर बैठी पांच माह की बेटी को देख भावु​क हुए DC, लिखा खत

Edited By vasudha,Updated: 15 Jul, 2018 07:09 PM

district collector wrote letter to martyr daughter

राजस्थान के झालावाड़ जिला कलेक्टर ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए सेना के जवान मुकुट बिहारी मीणा की पांच माह की बेटी को एक भावुकतापूर्ण पत्र लिखा है...

नेशनल डेस्क: राजस्थान के झालावाड़ जिला कलेक्टर ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए सेना के जवान मुकुट बिहारी मीणा की पांच माह की बेटी को एक भावुकतापूर्ण पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने बच्ची से बड़े होने पर अपने पिता की शहादत को अपना नूर और गुरूर बनाने को कहा है। झालावाड़ के खानपुर में कल शहीद के अंतिम संस्कार के दौरान बहुत ह्दयविदारक दृश्य था, जब शहीद मीणा के पिता जगन्नाथ ने मुखाग्नि से मासूम को हाथ लगवाया यानि शहीद की पांच माह की बच्ची ने मुखाग्नि दी। 
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इससे पूर्व दृश्य तब और अधिक मार्मिक हो गया जब एक कॉफिन में बंद तिरंगे में लिपटी शहीद की पार्थिव देह गांव पहुंचा तो उस कॉफिन पर शहीद की मासूम बच्ची बैठ गई और लेट गई। जिला कलेक्टर जितेन्द्र सोनी ने मासूम को लिखे पत्र में कहा कि बिटिया आरू, जब आप बड़े होकर देश के शहीदों के बारे में सुनोगी तो तुम्हें फर्क होगा। तुम अपने शहीद पिता की अंगुली पकड़कर बड़ी नहीं होगी मगर उनकी शहादत ​के किस्से तुम्हें रोज सुनने को मिलेंगे। ​पत्र में लिखा कि जब भी उनकी याद आये तो याद रखना कि कुछ अभाव चुभते हैं मगर तुम्हारे पिता की तरह देश के लिये कुर्बान होने का गौरव सबका नसीब नहीं होता।
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जिला कलेक्टर ने कहा कि न केवल इस क्षेत्र के लोगों की बल्कि देश के हर जिम्मेदार और समझदार नागरिकों की दुआएं और आशीर्वाद आपके साथ है। तुम खूब पढना और अपने पिता की गौरवमयी शहादत को अपना नूर और गुरूर बनाना   कलेक्टर ने अपने पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया है कि किस तरह मासूम आरू ने लोगों का ध्यान आर्किषत कर उन्हें भावपूर्ण बनाया। 
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फेसबुक पर यह पत्र साझा करते हुए सोनी ने लिखा कि आप बिना रोये शहीद के कॉफिन पर बैठ गये और उस पर लेट गये। उसके कुछ क्षण पहले आपने अपने पिता का चेहरा देखा। यह बहुत भावुकतापूर्ण दृश्य था। मैं और सेना के सभी अधिकारी तुम्हे देख रहे थे, सभी अलग अलग तरीके से सोच रहे ​होंगे मगर सोच का केन्द्र तुम्हारी मासूमियत और तुम्हारे शहीद पिता थे। झालावाड के 100 घरों वाले लडानिया गांव निवासी 25 वर्षीय शहीद मीणा ने गत 11 जुलाई को जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए देश के लिये अपने प्राण न्यौछावर कर दिये थे। शहीद मीणा का अंतिम संस्कार कल पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया गया था।  

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