तलाक नोटिस: मुस्लिम महिला की याचिका पर विचार से सुप्रीम कोर्ट ने किया इंकार

Edited By Yaspal,Updated: 03 Jul, 2019 05:49 PM

divorce notice supreme court refuses to consider muslim woman s plea

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को एक मुस्लिम महिला की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमे उसने उसे तलाक के लिये पति की ओर से दिये गये दो नोटिस को चुनौती दी थी। न्यायालय ने कहा कि वह इस मामले...

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को एक मुस्लिम महिला की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमे उसने उसे तलाक के लिये पति की ओर से दिये गये दो नोटिस को चुनौती दी थी। न्यायालय ने कहा कि वह इस मामले में रिट याचिका पर विचार नहीं कर सकता है।

न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना ने इस टिप्पणी के साथ ही मुस्लिम महिला की याचिका का निबटारा कर दिया। पीठ ने कहा कि इस न्यायालय में तलाक के नोटिस को चुनौती नहीं दी जा सकती। न्यायालय ने उसे राहत के लिये उचित मंच पर जाने की छूट भी प्रदान कर दी। इस महिला की ओर से अधिवक्ता एम एम कश्यप ने कहा कि पर्सनल लॉ के तहत तलाक-ए-अहसन की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है।

पीठ ने कहा कि वह याचिका के गुण-दोष में नहीं जा सकती है और याचिकाकर्ता को उचित मंच पर जाना चाहिए। दिल्ली निवासी इस महिला का दावा है कि वह इस व्यक्ति के साथ उसका 22 फरवरी, 2009 को मुस्लिम रीतियों से विवाह हुआ था और इस समय उसके नौ और छह साल के दो बच्चे हैं। महिला ने इस तरह की नोटिस देने के लिये पति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का भी अनुरोध किया था। पति ने पहला नोटिस 25 मार्च को और दूसरा नोटिस सात मई को दिया है।

 

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