संभलकर मनाएं दिवाली, झुलसे तो नहीं मिलेगा इलाज

Edited By Anil dev,Updated: 06 Nov, 2018 11:13 AM

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बाहरी और पश्चिमी दिल्ली के लोगों को जरा संभलकर दिवाली मनाने की जरूरत है, क्योंकि अगर बम-पटाखों में झुलसे तो यहां बने सरकारी अस्पतालों में इलाज नहीं मिलेगा। कारण, अस्पतालों में बर्न वार्ड का नहीं होना है।

वेस्ट दिल्ली (नवोदय टाइम्स): बाहरी और पश्चिमी दिल्ली के लोगों को जरा संभलकर दिवाली मनाने की जरूरत है, क्योंकि अगर बम-पटाखों में झुलसे तो यहां बने सरकारी अस्पतालों में इलाज नहीं मिलेगा। कारण, अस्पतालों में बर्न वार्ड का नहीं होना है। आगजनी में झुलसे मरीजों को लोकनायक या सफदरजंग अस्पताल के भरोसे छोड़ दिया जाता है। दिवाली पर्व के मौके पर पटाखों से जलने के कई मामले हर साल सामने आते हैं, लेकिन सालों बाद भी इसको लेकर सरकार ने कोई पहल नहीं की है।

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ज्ञात हो कि बाहरी और पश्चिमी जिले के बड़े अस्पतालों में शुमार अम्बेडकर, डीडीयू, महर्षि वाल्मीकि, संजय गांधी और राव तुला राम स्मारक अस्पताल में भी बर्न वार्ड नहीं है। इसके अलावा 100 बिस्तरों के अस्पतालों की हालत तो और भी ज्यादा बदतर है। अगर कोई भी मेजर बर्न का केस आता है तो उसे एलएनजेपी अस्पताल भेजा जाता है। जिसमें तीन से चार घंटे का समय लगता है। जबकि जले हुए मरीज को उपचार की तत्काल जरूरत होती है। ऐसे में मरीज की हालत और ज्यादा बिगडऩे लगती है। दिवाली पर लोग घरों में दीपक जलाते हैं, साथ ही पटाखे भी फोड़ते हैं। 


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पिछले वर्ष 179 लोग झुलसे 
आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछली दिवाली बम-पटाखों से झुलसने के कुल 179 मामले सामने आए थे। यह आंकड़े लोक नायक जय प्रकाश, गुरु तेग बहादुर, राम मनोहर लोहिया, सफदरजंग और डीडीयू अस्पताल के हैं। डीडीयू अस्पताल में माइनर बर्न वाले मरीजों का उपचार संभव है। जिस वजह से ज्यादा जख्मी मरीजों को मरहम पट्टी कर एम्बुलेंस में बैठाकर लोक नायक अस्पताल की तरफ रवाना कर दिया गया था।
 

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