Edited By vasudha,Updated: 14 Sep, 2019 05:55 PM
कहते हैं कि इंसान की किस्मत कब पलट जाए, किसी को पता नहीं होता है। ऐसा ही कुछ हुआ दिव्यांग लोगों के साथ जो आए तो जिलाधिकारी से मदद की गुहार लगाने लेकिन इस दौरान उनके साथ जो हुआ उसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी...
नेशनल डेस्क: कहते हैं कि इंसान की किस्मत कब पलट जाए, किसी को पता नहीं होता है। ऐसा ही कुछ हुआ दिव्यांग लोगों के साथ जो आए तो जिलाधिकारी से मदद की गुहार लगाने लेकिन इस दौरान उनके साथ जो हुआ उसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।
यह मामला है तमिलनाडु के थूथुकुड्डी जिले का जहां कुछ दिन पहलेे 12 दिव्यांग कलेक्टर संदीप नंदूरी के पास नौकरी मांगने आए। दिव्यागों से बातचीत के दौरान डीएम इस तरह प्रभावित हुए कि उन्होंने कलेक्ट्रेट परिसर में ही कैफे खुलवाने का फैसला किया। यहीं नहीं उन्हें कोइ्र परेशानी ना आए तो 45 दिन की होटल मैनेजमेंट की ट्रेनिंग भी दी गई।
इस कैफे का नाम 'कैफे एबल' रखा गया है, जहां जूस मास्टर, टी मास्टर, बिलिंग क्लर्क और सफाईकर्मी सहित सभी दिव्यांग हैं। डीएम खाने के साथ साथ यहां मीटिंग भी करते हैं। जिसकी प्रतिदिन कमाई करीब दस हजार रुपये है। जिलाधिकारी संदीप नंदूरी का कहना है कि मुझे अक्सर अलग-अलग दिव्यांग जनों से नौकरियों के लिए याचिकाएं मिलती थीं, लेकिन हर किसी को नौकरी देना संभव नहीं था। इस कारण कैफे खोलने का विचार आया।