Edited By Seema Sharma,Updated: 14 Aug, 2018 11:57 AM
द्रविड़ मुनेत्र कषगम प्रमुख एम. करुणानिधि के निधन के बाद पार्टी पर वर्चस्व को लेकर राजनीतिक संघर्ष शुरू हो गया है। करुणानिधि के बड़े बेटे एम.के. अझागिरि ने कहा कि डी.एम.के. के सभी समर्थक उनके साथ हैं और पार्टी के वास्तविक उत्तराधिकारी वही हैं।
चेन्नईः द्रविड़ मुनेत्र कषगम प्रमुख एम. करुणानिधि के निधन के बाद पार्टी पर वर्चस्व को लेकर राजनीतिक संघर्ष शुरू हो गया है। करुणानिधि के बड़े बेटे एम.के. अझागिरि ने कहा कि डी.एम.के. के सभी समर्थक उनके साथ हैं और पार्टी के वास्तविक उत्तराधिकारी वही हैं। अझागिरि के इस दावे के बाद उनके और स्टालिन के बीच पार्टी पर प्रभुत्व की लड़ाई तेज हो सकती है। वहीं आज डीएमके की अहम बैठक है इसमें अगले महीने डी.एम.के. की जनरल काऊंसिल की बैठक की बैठक की तारीख का ऐलान किया जा सकता है।
जनरल काऊंसिल की बैठक में ही अध्यक्ष पद का नाम का ऐलान होगा। हालांकि पार्टी के कुछ मंत्रियों का कहना है कि बैठक में करुणानिधि को श्रद्धांजलि दी जाएगी। इसमें स्टालिन, कनिमोझी के अलावा ए. राजा, दुरईमुरगम, ई. के. इलानगोवान समेत पार्टी के कई शीर्ष नेता शामिल होंगे।
भाइयों की बीच जंग पुरानी
उल्लेखनीय है कि अझागिरि ने सत्ता को लेकर संघर्ष छेड़ते हुए कहा कि मेरे पिता के सच्चे रिश्तेदार उनकी तरफ हैं। तमिलनाडु में पार्टी के सभी समर्थक मेरे साथ हैं। समर्थक पार्टी की कमान संभालने के लिए मेरा हौसला बढ़ा रहे हैं। मैं अभी यही कहना चाहूंगा कि आने वाला समय ही सभी सवालों का जवाब देगा। बता दें कि डी.एम.के. में कभी अझागिरि का राजनीतिक कद काफी बड़ा हुआ करता था। वह मदुरै से पार्टी कार्यकर्त्ताओं एवं प्रदेश की राजनीति को नियंत्रित करते थे। मदुरै से उन्होंने 2009 का लोकसभा चुनाव जीता था और मनमोहन सिंह सरकार में फर्टीलाइजर मंत्री बने। डी.एम.के. में वर्चस्व को लेकर अपने बेटों अझागिरि और स्टालिन के बीच कलह बढ़ने पर करुणानिधि ने अपने बड़े बेटे अझागिरि को राजनीतिक रूप से हाशिए पर कर दिया और फिर उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया। बाद में करुणानिधि ने स्टालिन को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष और अपना उत्तराधिकारी बना दिया।