Edited By vasudha,Updated: 11 Aug, 2018 06:40 PM
18 अगस्त को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के अध्यक्ष इमरान खान प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। ''नया पकिस्तान'' का नारा देने वाले इमरान खान को वर्तमान पाकिस्तान की हकीकत मालूम है...
नेशनल डेस्क (मनीष शर्मा): 18 अगस्त को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के अध्यक्ष इमरान खान प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। 'नया पकिस्तान' का नारा देने वाले इमरान खान को वर्तमान पाकिस्तान की हकीकत मालूम है। हाल ही में अंग्रेजी न्यूज चैनल वीओन को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने माना कि पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट से गुज़र रहा और दिवालिया होने की कगार पर है। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लगभग धराशायी हो गई है।
यह है पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के हालात :
- दिसंबर से अब तक पाकिस्तानी रूपये की कीमत यूएस डॉलर के मुकाबले चार बार गिराई जा चुकी है। इस समय एक यूएस डॉलर का मूल्य 123.95 पाकिस्तानी रूपये है।
- फॉरेन रिजर्व सिर्फ 9 अरब डॉलर रह गया है।
- इस वित्तीय वर्ष में पाकिस्तान का चालू खाता घाटा 43 प्रतिशत बढ़कर 18 अरब डॉलर हो गया है।
- व्यापार घाटा 35 अरब डॉलर के करीब हो गया है।
- पिछले पांच सालों में 35 अरब डॉलर का विदेशी क़र्ज़ बढ़ गया है।
अगर आने वाली सरकार पाकिस्तान को इस संकट से निकालना चाहती हैं तो उसे जल्द ही कदम उठाने होंगे। उसके पास महीनों का नहीं दिनों का वक़्त रह गया है।
क्या है पकिस्तान के पास त्वरित विकल्प
1) पाकिस्तान जल्द ही इंटरनेशनल मॉनेटरी फण्ड से 12 अरब डॉलर की खैरात मांगने जा रहा है। लेकिन अमेरिका ने पाकिस्तान की मदद के लिए अपने हाथ खींच लिए हैं। आईएमएफ में अमेरिका सबसे बड़ा भागीदार है। हाल ही में अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट माइक पोंपेयो ने कहा था कि पाकिस्तान आईएमएफ का पैसा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे पर लिए चीनी ऋण को चुकाने के लिए कर सकता है। पकिस्तान पर 60 खरब डॉलर का चीनी ऋण चढ़ चुका है।
2) पाकिस्तान भारत से भी आर्थिक मदद मांग सकता है। भारत अपने पडोसी देशों- बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, नेपाल और दक्षिण पूर्वी और अफ़्रीकी मदद दे रहा है।
भारत-पाक व्यापार से सुधर सकती है पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत-पाक के बीच द्विपक्षीय व्यापार तकरीबन ढाई अरब डॉलर है। जो अगर दोनों देश चाहें तो 30 अरब डॉलर हो सकती है। इसके लिए पकिस्तान को ही कुछ बड़े कदम उठाने होंगे।
1) डब्ल्यूटीओ बनने के साल भर बाद भारत ने पाकिस्तान को 1996 में एमएफएन का दर्जा दिया था लेकिन पाकिस्तान की ओर से भारत को ऐसा कोई दर्जा नहीं दिया गया था। दरअसल एमएफएन का मतलब है मोस्ट फेवर्ड नेशन, यानी सर्वाधिक तरजीही देश। इसके तहत आयात-निर्यात में आपस में विशेष छूट मिलती है।
2) वीज़ा में उदारता दिखानी होगी।
3) मध्य एशिया और ईरान के साथ व्यापार करने के लिए भारत को रास्ता देना होगा। इससे पाकिस्तान को भी फायदा होगा।
4) भारत से सम्बन्ध मधुर बनाने होंगे। इसके लिए भारत के खिलाफ चल रहे आंतकवाद को बंद करना होगा, मुंबई हमले के दोषियों को सजा देनी होगी और कश्मीर राग अलापना बंद करना होगा।
लेकिन इमरान खान का जो विज़न है वह वास्तविकता से कोसों दूर है।चुनाव जीतने के बाद देश को सम्बोधित करते हुए उन्होंने देश को आर्थिक संकट से निकालने के लिए 3 रास्ते सुझाये है :
1) पाकिस्तान की एक फीसदी जनता टैक्स देती है। इसका दायरा बढ़ाएंगे।
2) भ्रष्टाचार ख़त्म करेंगे।
3) चीन से गरीबी हटाने का मन्त्र सीखने के लिए टीम भेजेंगे।
इन विचारों को कब अमलीजामा पहनाया जायेगा इसकी उन्होंने कोई समय सीमा तय नहीं की है। हाल के संकट के लिए उनके पास कोई माटरप्लान नहीं है। हाँ, भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को लेकर वह वही भाषा बोल रहे है जो पहले के पाकिस्तानी शासक बोलते आये हैं। इमरान खान ने पाकिस्तान को संबोधित करते हुए कहा कि वह भारत से व्यापार तो बढ़ाना चाहते हैं लेकिन वह तरजीह कश्मीर को देते हैं। भारत अपने पड़ोसियों को आर्थिक मदद देता आया है। अगर पाकिस्तान एक कदम बढ़ाएगा तो भारत दो कदम बढ़ाएगा। लेकिन इसके लिए उन्हें अपने रवैये में बदलाव करना होगा जो निकट भविष्य में होता नहीं दिख रहा है। आज पाकिस्तान अगर दिवालिएपन की कगार पर पहुँच चुका है तो उसका ज़िम्मेदार उसके शासकों की अदूरदर्शिता ही है।