जम्मू कश्मीर पर बोला चीन, भारत ने दी नसीहत- दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में न करें टिप्पणी

Edited By Yaspal,Updated: 06 Aug, 2020 12:05 AM

do not comment on internal affairs of other countries mea

भारत ने जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन को ‘‘अवैध एवं अमान्य'' बताने को लेकर बुधवार को चीन की आलोचना करते हुए कहा कि इस विषय पर बीजिंग का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि चीन को अन्य राष्ट्रों के आंतरिक...

नई दिल्लीः भारत ने जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन को ‘‘अवैध एवं अमान्य'' बताने को लेकर बुधवार को चीन की आलोचना करते हुए कहा कि इस विषय पर बीजिंग का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि चीन को अन्य राष्ट्रों के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं करने की सलाह दी जाती है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की टिप्पणियों पर गौर किया है। चीनी पक्ष का इस विषय पर कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है और उसे अन्य राष्ट्रों के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं करने की सलाह दी जाती है।
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बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कुछ ही घंटे पहले कहा था कि जम्मू कश्मीर की स्थिति में कोई भी एकतरफा बदलाव अवैध एवं अमान्य है, जिसके बाद भारत ने यह प्रतिक्रिया दी। जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने और राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों- जम्मू कश्मीर और लद्दाख- में विभाजित किए जाने के एक वर्ष पूरा होने पर एक पाकिस्तानी संवाददाता द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व दोनों देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के मूल हितों को पूरा करता है।
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पिछले साल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ती की घोषणा की थी। साथ-साथ जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया। आज देश इसकी पहली वर्षगांठ मना रहा है। जम्मू-कश्मीर में आज बीजेपी कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया। 
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उन्होंने कहा, “चीन कश्मीर क्षेत्र के हालात पर करीबी नजर रखता है। हमारा रुख सुसंगत और स्पष्ट है। यह पाकिस्तान और भारत के बीच इतिहास का छोड़ा हुआ एक विवाद है। यह यूएन चार्टर, सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और भारत व पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय समझौतों से स्थापित वस्तुगत तथ्य है।”

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