गणतंत्र दिवस से पूर्व सरकार की अपील: प्लास्टिक से बने राष्ट्रीय ध्वज का न करें इस्तेमाल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Jan, 2018 07:26 PM

do not use a national flag made of plastic  home ministry

गणतंत्र दिवस से पहले केंद्र सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे प्लास्टिक से बने राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) का इस्तेमाल नहीं करें। सरकार ने राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को ध्वज संहिता का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है। राज्यों...

नेशनल डेस्क: गणतंत्र दिवस से पहले केंद्र सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे प्लास्टिक से बने राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) का इस्तेमाल नहीं करें। सरकार ने राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को ध्वज संहिता का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है। राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को जारी किए गए परामर्श में गृह मंत्रालय ने कहा कि तिरंगा देश के लोगों की उम्मीदों एवं आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है और इसलिए इसे सम्मान प्राप्त होना चाहिए।

मंत्रालय ने कहा कि उसका ध्यान इस ओर दिलाया गया है कि महत्वपूर्ण अवसरों पर कागज के तिरंगे की बजाय प्लास्टिक के तिरंगे का इस्तेमाल किया जा रहा है।  परामर्श के मुताबिक, चूंकि प्लास्टिक से बने झंडे कागज के समान जैविक रूप से अपघटनशील नहीं होते हैं, ये लंबे समय तक नष्ट नहीं होते हैं और ये वातावरण के लिए हानिकारक होते हैं । इसके अलावा, प्लास्टिक से बने राष्ट्रीय झंडों का सम्मानपूर्वक उचित निपटान सुनिश्चित करना एक समस्या है।

राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 की धारा-दो के मुताबिक - कोई भी व्यक्ति जो किसी सार्वजनिक स्थान पर या किसी भी अन्य स्थान पर सार्वजनिक रूप से भारतीय राष्ट्रीय झंडे या उसके किसी भाग को जलाता है, विकृत करता है, विरूपित करता है, दूषित करता है, कुरूपित करता है, नष्ट करता है, कुचलता है या उसके प्रति अनादर प्रकट करता है या (मौखिक या लिखित शब्दों में, या कृत्यों द्वारा) अपमान करता है तो उसे तीन वर्ष तक के कारावास से, या जुर्माने से, या दोनों से दंडित किया जाएगा।

परामर्श में कहा गया कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेलकूद के अवसरों पर भारतीय ध्वज संहिता के प्रावधान के अनुरूप, जनता केवल कागज से बने झंडों का ही प्रयोग करे तथा समारोह के पूरा होने के बाद ऐसे कागज के झंडों को न विकृत किया जाए और न ही जमीन पर फेंका जाए। ऐसे झंडों का निपटारा उनकी मर्यादा के अनुरूप एकांत में किया जाए। प्लास्टिक से बने झंडे का उपयोग न करने के बारे में व्यापक प्रचार इलेक्ट्रॉनिक एवं पिं्रट मीडिया में विज्ञापन के साथ किया जाए। 

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