Edited By Seema Sharma,Updated: 19 Oct, 2021 03:03 PM
गुजरात में एक मरीज गुर्दे की पथरी निकलवाने के लिए अस्पताल में भर्ती हुआ था लेकिन डॉक्टर ने उसकी किडनी ही निकाल ली। इस ऑप्रेशन के बाद मरीज की 4 महीने बाद मौत हो गई। गुजरात राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने बालासिनोर के केएमजी जनरल अस्पताल को अब...
नेशनल डेस्क: गुजरात में एक मरीज गुर्दे की पथरी निकलवाने के लिए अस्पताल में भर्ती हुआ था लेकिन डॉक्टर ने उसकी किडनी ही निकाल ली। इस ऑप्रेशन के बाद मरीज की 4 महीने बाद मौत हो गई। गुजरात राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने बालासिनोर के केएमजी जनरल अस्पताल को अब मरीज के रिश्तेदार को 11.23 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है। उपभोक्ता अदालत ने माना कि अस्पताल अपने कर्मचारी के लापरवाह रवैये के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार है। ऐसे में कोर्ट ने अस्पताल को मुआवजे के साथ उस पर साल 2012 से 7.5 प्रतिशत का ब्याज भी देने को कहा है।
सितंबर 2011 में हुआ था ऑपरेशन
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक यह पूरा मामला साल 2011 का है। गुजरात के खेड़ा जिले के वंघरोली गांव के देवेंद्रभाई रावल ने कमर दर्द और यूरिन पास करने में दिक्कत होने पर बालासिनोर कस्बे के केएमजी जनरल अस्पताल के डॉ. शिवुभाई पटेल से सलाह ली थी। मई 2011 में उनके बाएं गुर्दे में 14mm की पथरी का पता चला था। इसके बाद रावल ने उसी अस्पताल में सर्जरी कराने का फैसला किया। 3 सितंबर 2011 को उनका ऑपरेशन किया गया था। सर्जरी के बाद परिवार को उस समय हैरान रह गया जब डॉक्टर ने उनको बताया कि पथरी की जगह किडनी निकाल दी है। डॉक्टर ने कहा कि यह मरीज के लिए जरूरी था। इस सर्जरी के बाद भी देवेंद्रभाई रावल को यूरिन पास करने में अधिक समस्या होने लगी तो परिवार वाले उनको नडियाड के एक किडनी अस्पताल ले गए। अस्पताल ने उनको अहमदाबाद के आईकेडीआरसी अस्पताल ले जाने की सलाह दी। 8 जनवरी, 2012 को किडनी की बीमारी के कारण दम तोड़ दिया।
पत्नी ने खटखटाया कंज्यूमर कोर्ट का दरवाजा
रावल की पत्नी मीनाबेन ने नडियाड में उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग का दरवाजा खटखटाया। आयोग ने 2012 में डॉक्टर, अस्पताल और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को डॉक्टर की लापरवाही के लिए पत्नी को 11.23 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया। जिला आयोग के आदेश के बाद अस्पताल और बीमा कंपनी इस विवाद को लेकर राज्य आयोग के पास पहुंचे। इसे लेकर विवाद था कि लापरवाही के लिए मुआवजे का भुगतान किसे करना चाहिए। विवाद को सुनने के बाद राज्य आयोग ने पाया कि अस्पताल की ओर से इसमें लापरवाही की गई है। सर्जरी सिर्फ किडनी से स्टोन निकालने के लिए थी और इसके लिए ही परिजनों से सहमति ली गई थी। हालांकि, लापरवाही के कारण किडनी ही निकाल ली गई। कोर्ट ने पाया कि यह डॉक्टर और अस्पताल की ओर से लापरवाही का मामला है, इसलिए मुआवजा अस्पताल देगा।