Edited By Yaspal,Updated: 11 Jul, 2018 08:42 PM
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि अस्पतालों में डॉक्टरों के कामकाज के घंटे और डॉक्टर-रोगी अनुपात के संबंध में मापदंड तय होने चाहिए।
नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि अस्पतालों में डॉक्टरों के कामकाज के घंटे और डॉक्टर-रोगी अनुपात के संबंध में मापदंड तय होने चाहिए। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरिशंकर की पीठ ने यह सुझाव दिया। इससे पहले, एक निजी निकाय ने कहा कि डॉक्टर काफी देर तक काम करते हैं और डॉक्टर-मरीज का कोई निर्धारित अनुपात भी नहीं है।
भारतीय गुणवत्ता परिषद के अंतर्गत आने वाले निजी निकाय नेशनल एक्रीडिएशन बोर्ड ऑफ हॉस्पीट्ल्स (एनएबीएच) ने अदालत से कहा कि उसने जिन तीन अस्पतालों का परीक्षण किया वहां बहुत भीड़ थी और डॉक्टर के मान्य पद खाली थे। इस बोर्ड को तीन अस्पतालों की स्वास्थ्य गुणवत्ता का मूल्यांकन करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है।
बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में पीठ से कहा कि बाह्य रोग विभाग और प्रयोगशालाओं के बीच सूचना प्रौद्योगिकी कार्यक्रम का समेकन नहीं है जिससे नमूने देने, रिपोर्ट का संग्रहण करने आदि के लिए लंबी कतारें होती हैं। अदालत ने डॉक्टरों पर ङ्क्षहसक हमले में वृद्धि संबंधी खबरों का स्वत: संज्ञान लेते हुए उसे जनहित याचिका के रुप में लिया और उस पर सुनवाई कर रही है।