अपने-अपने रुख पर अड़ा भारत-चीन, लंबा खिंच सकता है डोकलाम विवाद

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Aug, 2017 11:43 AM

dokalaam controversy can be stretched long

डोकलाम में भारत और चीन के सैनिकों के बीच पिछले लगभग दो महीने से जारी गतिरोध से बनी ‘नो वार नो पीस’ की स्थिति में दोनों पक्षों के अपने-अपने रूख पर अड़ेरहने से फिलहाल कोई बदलाव होने की संभावना नहीं है।

नई दिल्ली: डोकलाम में भारत और चीन के सैनिकों के बीच पिछले लगभग दो महीने से जारी गतिरोध से बनी ‘नो वार नो पीस’ की स्थिति में दोनों पक्षों के अपने-अपने रूख पर अड़ेरहने से फिलहाल कोई बदलाव होने की संभावना नहीं है। सिक्किम से लगते भूटान और चीन के ट्राइजंक्शन क्षेत्र डोकलाम में चीन की सड़क बनाने की कोशिशों को भारत द्वारा विफल किए जाने से उत्पन्न गतिरोध ने दोनों देशों के बीच अपेक्षाकृत शांत माहौल को तनावपूर्ण बना दिया है। 

लंबा खिंच सकता है विवाद
सीमा पर भले ही लड़ाई की कोई हलचल न दिखाई दे रही हो लेकिन दोनों ओर से किसी भी स्थिति से निपटने की पूरी तैयारी की बात कही जा रही है। जानकारों का कहना है कि चीन और भारत के अपने-अपने रूख पर अड़े रहने के चलते गतिरोध फिलहाल दूर होने की संभावना नहीं दिखाई देती और यह कुछ लंबा खिंच सकता है। उनका कहना है कि चीन बातचीत के बजाए इस मुद्दे को गीदड़ भभकी से सुलझाने के लिए रोज नए-नए पैंतरे अपना रहा है। चीन की अपेक्षा के विपरीत शुरू से ही आक्रामक रूख अपनाए जाने के बावजूद भारत इस विवाद का बातचीत के जरिए समाधान करना चाहता है और इसके लिए वह किसी भी मौके को नहीं छोड़ रहा है।

चीन का भारत पर आरोप
रोचक बात यह है कि इस बार घटनाक्रम बदला हुआ है और बार-बार भारतीय सीमाओं का अतिक्रमण करने वाला चीन इस बार उल्टे भारत पर उसकी सीमा का अतिक्रमण करने का आरोप लगा रहा है। भारत ट्राइजंक्शन क्षेत्र से जुडे विवादों का समाधान संबंधित समझौतों के आधार पर करना चाहता है इसलिए वह इसी के अनुरूप गत 16 जून से पहले की स्थिति बनाए रखने पर जोर दे रहा है। चीनी सैनिकों ने 16 जून को डोकलाम में सड़क बनाने की कोशिश की थी।
PunjabKesari
भारत ने लगाई चीन को लताड़
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भारत का रूख स्पष्ट करते हुए कहा है कि इस समस्या का समाधान युद्ध नहीं है और बातचीत से ही हल निकलता है। अमेरिका और रूस जैसे बड़े देशों ने भी दोनों देशों से इस मुद्दे का बातचीत के जरिए हल करने को कहा है। भूटान द्वारा डोकलाम को उसकी जमीन बताए जाने और जापान द्वारा इस मुद्दे पर भारत के रूख का खुलकर समर्थन करने से भी भारतीय पक्ष को बल मिला है।

सेना को पीछे हटवाने पर अड़ा चीन
उधर चीन इस बात पर जोर दे रहा है कि बातचीत की किसी भी पहल से पहले भारत अपने सैनिकों को डोकलाम क्षेत्र से पीछे हटाये। वह भारतीय सैनिकों पर उसके क्षेत्र के अतिक्रमण का आरोप लगाते हुए भारत पर दबाव बनाने की कोशिश में है। इस दबाव का असर न होते देख वह कभी सीधे,तो कभी मीडिया के जरिये या फिर अन्य माध्यमों से तकरीबन रोज नयी धमकी दे रहा है। चीन के साथ लगती सीमा पर कुल 12 जगहों पर विवाद है जिनमें हर जगह चीन का अलग अलग रूख देखने को मिलता है । यदि एक जगह पर उसका व्यवहार मैत्रीपूर्ण है तो दूसरी जगह उसके व्यवहार में उग्रता दिखाई देती है।


इस विवाद में खास बात यह है कि चीन का कहना है कि सिक्किम में भारत एवं उसके बीच सीमा को लेकर कोई अलग- अलग अवधारणा नहीं है और गतिरोध वाला स्थान ट्राइजंक्शन का स्थान नहीं है। इसलिए भारतीय सेना का वहां रहना सीधे तौर पर चीन की संप्रभुता का उल्लंघन है। जबकि भारत का कहना है कि डोकलाम में 89 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र विवादित है। जिस पर चीन और भारत दोनों का दावा है। इस विवाद के चलते भी ट्राइजंक्शन के बिन्दु को लेकर भारत एवं चीन की अवधारणा अलग-अलग है।
PunjabKesari
डोकलाम विवाद नया नहीं
 डोकलाम में यह विवाद नया नहीं है। चार साल पहले 2013 में भी वहां चीनी सैनिक और भारतीय सैनिक आमने-सामने आ गये थे और यह गतिरोध भी करीब 20 दिन चला था। बाद में दोनों पक्षों ने अपने-अपने सैनिक एक साथ हटाए थे। जानकारों की मानें तो इस बार भी जब चीन के सैनिकों ने डोका ला में भारतीय सेना के पुराने बंकरों को नष्ट किया तो भारत ने सीमा संबंधी अलग-अलग अवधारणा की वजह से सोच-समझ कर इसका विरोध नहीं किया था। बंकरों को नष्ट करने की घटना चीनी सेना द्वारा सड़क बनाने के प्रयास के करीब दस दिन पहले की है। सूत्रों का कहना है कि मौजूदा गतिरोध भी दोनों देशों के स्थानीय कमांडरों द्वारा हल किया जा सकता था लेकिन इसमें तीसरे देश भूटान के लिप्त होने और मामला बीजिंग एवं नई दिल्ली चले जाने की वजह से उलझ गया और इसमें अनेक नये आयाम जुड़ गए। उनका कहना है कि डोकलाम में सैन्य संघर्ष की संभावना नगण्य है क्योंकि भारतीय सेना की पोकाीशन बहुत अच्छी है और वहां चीनी सेना ज्य़ादा कुछ करने की स्थिति में नहीं है। इसलिए इस गतिरोध का भी समाधान यही होगा कि दोनों देशों की सेनाएं वहां से हट जाएं लेकिन अब इस मामले में दोनों देशों में राष्ट्रीय गौरव की भावना जुड़ गई है और कोई भी पक्ष जनता की नकारों में पराजित नहीं दिखना चाहेगा। इसलिए इस मसले के समाधान में अभी समय लगेगा।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!