Edited By Seema Sharma,Updated: 05 Jul, 2022 02:41 PM
प्रमुख इस्लामी संगठन जमीयत उलेमा की असम इकाई ने मुसलमानों से ईद-उज-अजहा या बकरीद पर गायों की कुर्बानी नहीं देने का आग्रह किया है, ताकि हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत न हों।
नेशनल डेस्क: प्रमुख इस्लामी संगठन जमीयत उलेमा की असम इकाई ने मुसलमानों से ईद-उज-अजहा या बकरीद पर गायों की कुर्बानी नहीं देने का आग्रह किया है, ताकि हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत न हों। संगठन की राज्य इकाई के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि कुर्बानी इस त्योहार का महत्वपूर्ण हिस्सा है, ऐसे में गायों के अलावा अन्य जानवरों की बलि दी जा सकती है। राजनीतिक दल ‘ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट' (AIUDF) के अध्यक्ष अजमल ने एक बयान में कहा कि हिंदुओं का सनातन धर्म गाय को मां मानता है और उसकी पूजा करता है। हमें उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस्लामी मदरसे ‘दारुल उलूम देवबंद' ने 2008 में एक सार्वजनिक अपील की थी कि बकरीद पर गाय की कुर्बानी न दी जाए और उसने यह बताया था कि इस बात का कोई उल्लेख या अनिवार्यता नहीं है कि गाय की ही बलि देनी होगी। धुबरी के सांसद ने कहा कि मैं फिर से वही अपील दोहराता हूं और अपने साथियों से गाय के बजाए किसी अन्य जानवर की बलि देने का आग्रह करता हूं, ताकि देश की बहुसंख्यक आबादी की धार्मिक भावना को ठेस न पहुंचे।
अजमल ने कहा कि ईद-उज-अजहा के दौरान वैसे तो ऊंट, बकरी, गाय, भैंस और भेड़ जैसे अन्य जानवरों की बलि दी जाती है लेकिन अधिकतर लोग गाय को पवित्र मानते हैं, तो मैं लोगों से गाय की कुर्बानी नहीं देने का विनम्र आग्रह करता हूं। बकरीद 10 जुलाई को मनाए जाने की संभावना है।