14 साल में बड़े दलों को 8721 करोड़ का गुप्त दान

Edited By vasudha,Updated: 20 Mar, 2019 12:25 PM

donation of 8721 crores to big parties in 14 years

विश्व के सबसे बड़े हमारे लोकतंत्र को चलाने के लिए आम चुनावों में राजनीतिक दलों और सरकार का अरबों रुपए खर्च हो जाता है। इस बार 2019 के लिए सजे सियासी अखाड़े में एक बार फिर से अरबों रुपए खर्च होने का अनुमान है...

नेशनल डेस्क: (सूरज ठाकुर): विश्व के सबसे बड़े हमारे लोकतंत्र को चलाने के लिए आम चुनावों में राजनीतिक दलों और सरकार का अरबों रुपए खर्च हो जाता है। इस बार 2019 के लिए सजे सियासी अखाड़े में एक बार फिर से अरबों रुपए खर्च होने का अनुमान है। राजनीतिक पार्टियों की आय का मुख्य साधन उन्हें लाखों व करोड़ों का डोनेशन देने वाले कॉर्पोरेट्स व बिजनैस सैक्टर के अन्य लोग हैं। इन लोगों के डोनेशन को नियमों के मुताबिक राजनीतिक पार्टियां सार्वजनिक भी करती हैं। 

20 हजार से कम डोनेशन वालों के नाम पार्टियों के लिए सार्वजनिक करना जरूरी नहीं है इसलिए ऐसे दानकत्र्ताओं को अज्ञात या गुमनाम की संज्ञा दी जाती है। पिछले 14 सालों में देश की सबसे बड़ी 7 राजनीतिक पार्टियों को लोगों व संस्थाओं से 8721.14 करोड़ रुपए (87.21 अरब) का गुप्त दान मिला है।
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सर्वेक्षण में सी.आई.एम. शामिल नहीं
ए.डी.आर. के इस सर्वेक्षण में माकपा को शामिल नहीं किया गया है क्योंकि उसके आंकड़े सर्वेक्षण के मुताबिक चुनाव आयोग की वैबसाइट पर उपलब्ध नहीं थे इसलिए यह सर्वेक्षण 6 राष्ट्रीय दलों पर ही किया गया जिनमें भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सी.पी.आई., एन.सी.पी. व बी.एस.पी. ही शामिल हैं। ए.डी.आर. का कहना कि 2013 के आदेश के मुताबिक राजनीतिक दलों को आर.टी.आई. एक्ट के तहत लाया गया है लेकिन अभी तक उन्होंने इस निर्णय का पालन करना स्वीकार नहीं किया है। उनके डोनेशन के बारे में पारर्दिशता बिल्कुल नहीं रहती और जनता को नहीं पता चल पाता कि उन्हें चंदा कहां से मिला है।

कुल गुमनाम डोनेशन में से 80 फीसदी भाजपा का
चुनाव आयोग में सबमिट ऑडिट रिपोटस और एसोसिएशन फॉर डैमोक्रेटिक रिफॉम्र्स (ए.डी.आर.) के मुताबिक 2004-05 से 2017-18 के बीच यानी 14 साल में गुमनाम स्रोतों से 8721.14 करोड़ रुपए मिले हैं जबकि यदि वित्त वर्ष 2017-18 की बात करें तो राजनीतिक दलों को इसी तरह 689.44 करोड़ रुपए की गुमनाम डोनेशन हासिल हुई है। इसमें सबसे अधिक 553.38 करोड़ रुपए यानी 80 फीसदी शेयर भाजपा का है। भाजपा को ज्यादा डोनेशन मिलने की वजह कारोबारी और व्यापार जगत में इसके बड़ी संख्या में समर्थक हैं। साथ ही केंद्र और देश के कई राज्यों में इसकी सरकार है। 
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16.80 लाख रुपए का डोनेशन कैश
राजनीतिक दलों को मिले 689.44 करोड़ रुपए के डोनेशन में से 215 करोड़ रुपए यानी 31 फीसदी इलैक्टोरल बॉन्ड से मिले हैं। 2017-18 के दौरान राजनीतिक दलों को महज 16.80 लाख रुपए की ही डोनेशन कैश के रूप में मिली। 689.44 करोड़ रुपए का डोनेशन कैसे दिया गया इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। पिछले 14 साल (वित्त वर्ष 2004-05 से 2017-18) के दौरान कांग्रेस और एन.सी.पी. को बॉन्ड की बिक्री से 3573.53 करोड़ रुपए का चंदा हासिल हुआ है। 

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खर्च करने पर पाबंदी, डोनेशन जितना मर्जी इकट्ठा करो
चुनाव आयोग ने हाल ही में प्रत्येक लोकसभा सीट के लिए व्यय सीमा बड़े राज्यों में 40 लाख रुपए से बढ़ाकर 70 लाख और छोटे राज्यों में लोकसभा चुनावों के लिए यह सीमा 22 लाख रुपए से बढ़ाकर 54 लाख कर दी है। कंपनी एक्ट की धारा 293ए के मुताबिक कोई भी कंपनी अपने सालाना मुनाफे का 5 फीसदी तक की राशि को डोनेशन के तौर पर दे सकती है। वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दलों के लिए डोनेशन लेने के लिए कोई सीमा नहीं है। 20 हजार रुपए से कम के चंदे के बारे में चुनाव आयोग को बताना जरूरी नहीं है जिससे 20 हजार रुपए से कम डोनेशन से राष्ट्रीय दलों के पास अधिक पैसा जमा हो रहा है जिसे गुमनाम सूची में बताया जाता है। 
 

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