फेल हुए पीएम मोदी के दावे, आजादी के बाद से बिजली के लिए महरूम हैं दर्जनों गांव

Edited By kamal,Updated: 03 May, 2018 01:28 PM

देश 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन, यहां आज भी दर्जनों ऐसे गांव हैं जो बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से महरूम हैं। आलम यह है कि इन गांवों के बच्चों को बिजली न होवे की वजह से पढ़ाई के लिए बाहरी राज्यों का रुख करना पड़ता है और अगर कोई गरीब है तो उसे...

मुरैना : देश 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन, यहां आज भी दर्जनों ऐसे गांव हैं जो बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से महरूम हैं। आलम यह है कि इन गांवों के बच्चों को बिजली न होने की वजह से पढ़ाई के लिए बाहरी राज्यों का रुख करना पड़ता है और अगर कोई गरीब है तो उसे पढ़ाई-लिखाई से वंचित रहना पड़ता है।

लोगों को काम चलाने के लिए चार्जेबल बैटरी का सहारा लेना पड़ता है। जानकारी के अनुसार मुरैना जिले की सबसे छोटी नगर पंचायत झुण्डपुरा के 15 वार्डों में से 6 वार्ड बिजलीविहीन हैं, इसके अलावा जिले की 478 ग्राम पंचायतों के अधिकांश गांव बिजली से वंचित हैं।
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यही नहीं इन गांवों में बिजली न होना गांव के युवाओं की शादी में भी बहुत बड़ा रोड़ा बनी हुई है। इन गांवों के ज्यादातर युवक कुंवारे हैं क्योंकि कोई भी बाप ऐसे गांव में अपनी बेटी की शादी नहीं कराना चाहता जहां बिजली-पानी हीं नहीं हो।

ऐसा नहीं है कि यहां कभी बिजली नहीं पहुंची। बता दें कि 1995 में रामचन्द्र के पुरा से बिजली की शुरूआत हुई थी, लेकिन एक साल में ही चोर ने तार समेत बिजली के खम्बे भी ले उड़े। ऐसे में आजादी के बाद से ही इन गांवों में बिजली नहीं है। जिससे लोगों में खासा रोष है। ऐसे में यहां पीएम मोदी के हर गांव में बिजली के वादे भी फेल हुए हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से हर छोटे-बड़े नेता से कई बार इसकी गुहार लगाई, लेकिन अभी तक इसका कोई समाधान नहीं निकला। ऐसे में गांवों के लोगों की बिजली की मांग महज एक मांग बनकर रह गई है।

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