ऑफ द रिकॉर्डः मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस की दोहरी रणनीति

Edited By Seema Sharma,Updated: 14 Oct, 2018 10:52 AM

dual strategy of congress in madhya pradesh and rajasthan

मध्य प्रदेश में अगर कांग्रेस का कोई भी बड़ा नेता विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेगा तो पार्टी के सभी प्रमुख नेताओं को राजस्थान विधानसभा चुनावों में उतारा जा सकता है। मालूम हुआ है कि न तो प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ

नेशनल डेस्कः मध्य प्रदेश में अगर कांग्रेस का कोई भी बड़ा नेता विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेगा तो पार्टी के सभी प्रमुख नेताओं को राजस्थान विधानसभा चुनावों में उतारा जा सकता है। मालूम हुआ है कि न तो प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ और न ही चुनाव प्रचार समिति के प्रमुख ज्योतिरादित्य सिंधिया विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। यहां तक कि दिग्विजय सिंह भी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। ये सभी वरिष्ठ नेता लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य हैं और अगर उन्हें टिकट दिया गया तो वे अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र से जुड़े रहेंगे इसलिए उनको चुनाव से दूर रखा गया है ताकि वे राज्य में पार्टी की जीत के लिए काम कर सकें।
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पार्टी में एक विचार यह भी है कि सभी वरिष्ठ नेताओं को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में दर्शाने की बजाय सामूहिक रूप से काम करना चाहिए। उनके समर्थकों को पार्टी टिकट दिया जाएगा ताकि वे परेशान न हों। बसपा का कांग्रेस से अलग होना कमलनाथ के लिए एक झटका समझा जाता है जिन्होंने हाईकमान को आश्वासन दिया था कि वह मायावती को साथ मिला लेंगे।
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राजस्थान में सभी प्रमुख नेताओं को मैदान में उतारने की रणनीति बनाई गई है चाहे ये सचिन पायलट हों, अशोक गहलोत हों या फिर सी.पी. जोशी। इन सभी को चुनाव लडऩे के लिए कहा जाएगा क्योंकि ये संसद के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। ऐसा महसूस किया गया कि अगर ये सभी चुनाव लड़ेंगे तो सही संकेत जाएगा। मुख्यमंत्री पद का मामला अभी स्पष्ट नहीं किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि चुनाव अभियान के दौरान इस संबंध में अप्रत्यक्ष संकेत दिया जा सकता है।

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