Edited By vasudha,Updated: 23 Oct, 2019 06:17 PM
अध्यादेश के जरिये ई-सिगरेट की बिक्री पर रोक लगाए जाने के फैसले को एक महीने से अधिक का समय बित चुका है लेकिन इसकी ऑनलाइन बिक्री जारी है। इसके मद्देनजर कई विशेषज्ञों ने ग्राहकों और कारोबारियों को जागरूक बनाने पर जोर दिया है...
नेशनल डेस्क: अध्यादेश के जरिये ई-सिगरेट की बिक्री पर रोक लगाए जाने के फैसले को एक महीने से अधिक का समय बित चुका है लेकिन इसकी ऑनलाइन बिक्री जारी है। इसके मद्देनजर कई विशेषज्ञों ने ग्राहकों और कारोबारियों को जागरूक बनाने पर जोर दिया है। केंद्र सरकार ने 18 सितंबर को अध्यादेश जारी कर धूम्रपान के वैकल्पिक उपकरणों के विनिर्माण, उत्पादन, आयात-निर्यात, वितरण, परिवहन, बिक्री, संग्रहण और विज्ञापन को संज्ञेय अपराध बनाते हुए कारावास एवं जुर्माने का प्रावधान किया था।
बहरहाल, विधि एवं चिकित्सा विशेषज्ञों ने प्रतिबंध के बावजूद अवैध तरीके से ई-सिगरेट की बिक्री खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में बढ़ने की आशंका जताई है। गुवाहाटी के अस्पताल में क्लिनिकल सूक्ष्म जीव विज्ञान के विशेषज्ञ मुकुल वाजपेयी ने कहा कि अब सरकार की जिम्मेदारी है कि वह ई-सिगरेट पर प्रतिबंध के कारणों और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को लेकर लोगों को जागरूक करे। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर सरकार का यह कदम अच्छा है, लेकिन उसे समझना होगा कि अवैध ई-सिगरेट की बिक्री रोकने के लिए निगरानी व्यवस्था मजबूत करनी होगी क्योंकि जब भी ऐसे प्रतिबंध लगाए जाते हैं अवैध बिक्री बढ़ जाती है।
लखनऊ स्थित सरस्वती चिकित्सा महाविद्यालय में पैथोलॉजी के प्रोफेसर रिगवर्धन ने कहा कि ई-सिगरेट के खिलाफ अभियान जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि कानून बनाना एक बात है लेकिन वास्तविक चुनौती प्रभावी तरीके से इसे लागू करना है क्योंकि हम जानते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलवरी सिस्टम (ईएनडीसी) अब भी ऑनलाइन उपलब्ध हैं और उनके युवाओं तक पहुंचने का खतरा है।
मुंबई स्थित राष्ट्रीय स्वास्थ्य मंच की अध्यक्ष मंदाकिनी सिंह ने कहा, कि छोटे व्यापारियों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों सहित सभी हितधारकों को विभिन्न प्रकार के ई-सिगरेट के बारे में जागरूक करने की जरूरत है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पूर्व निदेशक एमसी मिश्र ने कहा कि लोगों और सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती इस प्रतिबंध को पूरे देश में प्रभावी तरीके से लागू करना है।