चीन के खिलाफ घर में ही बगावत तेज, शिंजियांग ने आजादी के लिए दुनिया से मांगी मदद

Edited By Tanuja,Updated: 20 Aug, 2020 04:16 PM

east turkestan is crying for freedom from china seeks help from world

चीन की विस्तारवादी नीतियों के खिलाफ दुनिया में ही नहीं बल्कि अपने देश में भी बगावत की चिंगारी भड़क रही है। चीन के शिंजियांग ...

बीजिंगः चीन की विस्तारवादी नीतियों के खिलाफ दुनिया में ही नहीं बल्कि अपने देश में भी बगावत की चिंगारी भड़क रही है। चीन के शिंजियांग प्रान्त में स्वतंत्रता की मांग तेज होती जा रही है। चीन का शिकार केवल तिब्बत ही नहीं मध्य एशिया का एक भाग पूर्वी तुर्किस्तान भी हुआ। 1949 में चीन द्वारा आक्रमण के बाद यह अपनी स्वतंत्रता गवां बैठा और आज चीन के शिंजियांग प्रान्त के रूप में जाना जाता है। आज के शिंजियांग में समय-समय पर चीन से स्वतंत्रता के लिए संघर्ष हो रहा है। 1990 के दशक में, सोवियत संघ के टूटने के बाद मध्य एशिया में तुर्किस्तान, कजाकिस्तान आदि स्वतन्त्र देशों का अस्तित्व बना, तब चीन के शिंजियांग में पूर्वी तुर्किस्तान की स्वतंत्रता की मांग उठी जिसे चीन ने दबा दिया।

 

चीन के खिलाफ बढ़ते गुस्से के बीच स्वतंत्र पूर्वी तुर्किस्तान की, अमेरिका स्थित निष्काषित सरकार के प्रधानमंत्री साहिल हदयार ने दुनिया के देशों से अपने देश की स्वतंत्रता की मांग उठाई है। साहिल हदयार का कहना है कि शिंजियांग (पूर्वी तुर्किस्तान) के लोगों की स्वतंत्रता की चाह साफ़ दिख रही है। शिंजियांग के लोग चीन के अत्याचारों और दमन से तंग आ चुके हैं इसलिए उनको चीन के कब्जे से आजाद कराने के लिए दुनिया को आवाज उठानी चाहिए बता दें की यह पहला मौका नहीं है जब चीन के शिंजियांग प्रान्त में स्वतंत्रता की मांग उठी है। वस्तुतः इस इलाके में रहने वाले उइगर मुसलमानों के साथ नस्लीय भेदभाव और उनका धार्मिक उत्पीड़न बहुत पुराना है। वर्ष 2009 में यहां बड़ी मात्रा में दंगे हुए थे, जिसमें उइगर मुसलमानो की बड़ी संख्या हत्या हुई थी। इसके बाद वहां सरकारी दमन अपने चरम पर है।

 

सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले चार वर्षों में चीन की सरकार ने शिनजियांग के सुदूर पश्चिमी क्षेत्र में जहां उइगर मुसलमान रहते हैं वहाँ इस प्रकार का अत्याचार किया है जिसे कुछ विशेषज्ञ एक तरह से “जनसांख्यिकीय नरसंरहार” तक कह चुके हैं। लेकिन कोरोना के फैलाव और अमेरिका-चीन के बीच चल रहे शीतयुद्ध ने यहाँ के लोगों को अपनी आजादी की मांग उठाने का सही अवसर दिया है। पूर्वी तुर्किस्तान की निष्काषित सरकार जानती है कि एशियाई शक्तियों में केवल भारत ही है जो चीन का मुकाबला कर सकता है। भारत ने हाल ही में चीन को गलवान की घटना के बाद जिस तरह से चीन को मुहतोड़ जवाब दिया है उसके बाद भारत की शक्ति के प्रति विश्वास बढ़ा है। यही कारण है कि पूर्वी तुर्किस्तान के प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारत के लोगो से शिंजियांग को आजाद कराने की भावनात्मक अपील तक कर दी ।

 

गौरतलब है कि अमेरिका ने पूर्वी तुर्किस्तान के मुद्दे को लेकर चीन के शीर्षस्थ अधिकारियों पर प्रतिबन्ध लगाया है। इसी के बाद एक साक्षात्कार में East Turkistan Republican Party के सचिव ने बयान देते हुए कहा था कि भारत यदि पूर्वी तुर्किस्तान और तिब्बत के लिए और मुखर होता है तो यह न सिर्फ यह पूर्वी तुर्किस्तान और तिब्बत के लोगों के लिए मददगार होगा बल्कि भारत के लिए रणनीतिक रूप से लाभकारी होगा। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अमेरिका का साथी है, ऐसे में भारत को भी अमेरिका की तरह इस मुद्दे को उठाना चाहिए।

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