आर्थिक सर्वे: देश की GDP 7% रहने का अनुमान, जॉब-टैक्स जानिए रिपोर्ट में क्या-क्या

Edited By Seema Sharma,Updated: 04 Jul, 2019 06:52 PM

economic survey presented in parliament

सरकार ने गुरुवार को चालू वित्त वर्ष 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर 7% रहने का अनुमान लगाया है। पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पांच साल के न्यूनतम स्तर 6.8 प्रतिशत रही थी।

नई दिल्ली: सरकार ने गुरुवार को चालू वित्त वर्ष 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर 7% रहने का अनुमान लगाया है। पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पांच साल के न्यूनतम स्तर 6.8 प्रतिशत रही थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश 2018-19 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, ‘‘2019-20 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान है। बीते वित्त वर्ष में पूरे साल वृद्धि दर के निचले स्तर पर रहने के बाद यह अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार का संकेत है।'' समीक्षा में 2018-19 में राजकोषीय घाटा बढ़कर 3.4 प्रतिशत पर पहुंच जाने का अनुमान है। अंतरिम बजट में भी राजकोषीय घाटा 3.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।

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आर्थिक सर्वे के हाइलाइट्स

  • आर्थिक समीक्षा में 2018-19 में खाद्यान्न उत्पादन 28.34 करोड़ टन रहने का अनुमान। कृषि, वानिकी और मत्स्यन में 2.9 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान।
  • तेल कीमतों में 2019-20 में गिरावट का अनुमान।
  • विदेशी मुद्रा भंडार 2018-19 में 412.9 अरब डालर रहने का अनुमान।
  • वित्त वर्ष 2018-19 में आयात 15.4 प्रतिशत जबकि निर्यात में 12.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान।
  • जनसंख्या प्रवृत्ति बुजुर्ग आबादी के लिए तैयारी की जरूरत का संकेत देती है, यह स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश बढ़ाने, चरणबद्ध तरीके से सेवानिवृत्ति उम्र बढ़ाने की जरूरत को रेखांकित करता है।
  • भारत को वर्ष 2025 तक 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन को हासिल करने के लिए देश की आर्थिक विकास दर की गति के वार्षिक 8 फीसदी रखने की आवश्यकता बताते हुये आर्थिक समीक्षा 2018-19 में चालू वित्त वर्ष में विकास दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है।
  • आर्थिक समीक्षा में छोटी कंपनियों के बजाए बड़ी कंपनी बनने की क्षमता रखने वाली नई कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए नीतियों को नई दिशा देने का आह्वान।
  • श्रम सुधार लागू करके रोजगार के अवसरों का सृजन किया जा सकता है। श्रम कानून को सरल करने से बड़ी संख्या में और ज्यादा रोजगारों का सृजन हो सकता है। विनिर्माण क्षेत्र की कंपनियों के श्रम, पूंजी एवं उत्पादकता संबंधी आंकड़ों के बीच तुलना करने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि लचीले श्रम कानून औद्योगिक विकास एवं रोजगार सृजन के लिए और अधिक अनुकूल माहौल बनाते हैं।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी इलाकों की तुलना में मुद्रास्फीति में कमी की दर अधिक रही है। जुलाई, 2018 से ही शहरी महंगाई की तुलना में ग्रामीण महंगाई में कमी की गति अपेक्षाकृत ज्‍यादा तेज रही है। इसकी बदौलत मुख्‍य महंगाई दर भी घट गई।
  • वैश्विक उत्पादन बढ़ने से कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का दबाव होगा, लेकिन इसके बावजूद इसका असर भारत पर नहीं पड़ेगा क्योंकि वैश्विक उत्पादन में वृद्धि भारत के निर्यात में भी सहायक बनेगी। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान बेहद सफल रहा है, लेकिन इसमें बदलाव की जरूरत है। लैंगिक असमानता दूर करने के लिए ऐसे क्रांतिकारी अभियान की जरूरत है जो व्यावहारिक अर्थशास्त्र के लाभों का उपयोग करता हो। अभियान को सांस्कृतिक और सामाजिक मानदंडों पर आधारित होना चाहिए क्योंकि वे भारत में व्यवहार को बहुत ही महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं इसलिए महिला-पुरुष समानता की दिशा में बदलाव को निरूपित करने के लिए इस अभियान को बदलाव (बेटी आपकी धन लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी) का नाम दिया जा सकता है।
  • आर्थिक समीक्षा 2018-19 में अगले दो दशक में जनसंख्या की वृद्धि दर नकारात्मक होने और भारतीय नागरिकों की जीवन प्रत्याशा बढ़ने की संभावना व्यक्त करते हुए कामगारों की सेवानिवृति की आयु बढ़ाने की सिफारिश की गई है।

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आर्थिक सर्वे बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट शुक्रवार को पेश करेंगी। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘मेरी और नई सरकार की पहली आर्थिक समीक्षा के संसद के पटल पर रखे जाने के लेकर उत्साहित हूं।'' वर्ष 2018- 19 की आर्थिक समीक्षा ऐसे समय पेश की जा रही है जब अर्थव्यवस्था विनिर्माण और कृषि क्षेत्र में चुनौतियों का सामना कर रही है। पिछले वित्त वर्ष में जनवरी-मार्च तिमाही में आर्थिक वृद्धि पांच साल के न्यूनतम स्तर 5.8 प्रतिशत पर आ गई।


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