नई सरकार को विरासत में मिलेगी लडख़ड़ाती अर्थव्यवस्था

Edited By Anil dev,Updated: 20 May, 2019 11:41 AM

economy cannabis cornell university

वैश्विक मंदी का जिस देश (भारत) की अर्थव्यवस्था पर बहुत असर नहीं हुआ और 2016 की नोटबंदी के आघात के बाद भी 2018 के आरंभ में अर्थव्यवस्था में सुधार आया लेकिन आगे आर्थिक विकास की रफ्तार थमने का खतरा बना हुआ है।

नई दिल्ली: वैश्विक मंदी का जिस देश (भारत) की अर्थव्यवस्था पर बहुत असर नहीं हुआ और 2016 की नोटबंदी के आघात के बाद भी 2018 के आरंभ में अर्थव्यवस्था में सुधार आया लेकिन आगे आर्थिक विकास की रफ्तार थमने का खतरा बना हुआ है। प्रमुख आर्थिक आंकड़े बताते हैं कि लोकसभा चुनाव के बाद जिस भी पार्टी की सरकार बने उसे लडख़ड़ाती अर्थव्यवस्था विरासत में मिलेगी। नई सरकार को आर्थिक मोर्चे पर बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा।

बैंक अभी भी मुश्किल में
क्रैडिट की आमद तो सुधरी है मगर बैंक अभी भी मुश्किल में हैं। सरकारी बैंकों ने अंतिम तिमाही तक 52,000 करोड़ से ज्यादा के खराब कर्ज जारी किए हैं जो पिछले आंकड़े का लगभग दोगुना है। उधार देने वाली अगली जमात गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों की है जिनमें अपनी बैलेंस शीट में छिपे राज के कारण आत्मविश्वास की कमी है और उन्हें लिक्विडिटी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

मंदी का कारण नोटबंदी भी
कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफैसर और विश्व बैंक के पूर्व मुख्य आर्थशास्त्री कौशिक बसु का मानना है कि यह मंदी उससे कहीं गंभीर है जितना वह शुरू में समझते थे। उन्होंने बताया कि अब इस बात के पर्याप्त सबूत इस बिंदु पर पहुंच गए हैं जहां इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। उनका मानना है कि इसका एक बड़ा कारण 2016 में विवादित नोटबंदी भी है जिसने किसानों पर उलटा असर डाला।

अर्थव्यवस्था में मंदी के संकेत
 ऐसा लग रहा है कि अर्थव्यवस्था मंदी की ओर जा रही है और इसके संकेत चारों ओर हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि मुद्दा यह नहीं होगा कि वृद्धि दर फिर से 7 प्रतिशत के आंकड़े को कब छुएगी या इसके ऊपर कब जाएगी बल्कि यह होगा कि यह 6.5 प्रतिशत के इर्द-गिर्द कब तक घूमती रहेगी। दिसंबर के बाद के तीन महीनों में आर्थिक विकास दर 6.6 फीसदी पर आ गई जो कि पिछली छह तिमाही में सबसे कम है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने वित्त वर्ष 2018-19 के विकास दर अनुमान को 7.2 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी कर दिया है।

व्यापारिक वस्तुओं का निर्यात सुस्त
व्यापारिक वस्तुओं का निर्यात लगभग पिछले 5 वर्षों से सुस्त है। यह घरेलू मैन्युफैक्चरिंग की नाकामी को दर्शाता है और इसने अर्थव्यवस्था को अंतर्मुखी बना दिया है। टैक्स से आय में पहले तो उछाल दिखा, फिर यह गिर गई। जी.एस.टी. की मद में जो आमद है उससे साफ  है कि व्यापार में उछाल नहीं है। उपभोग के आंकड़े कई क्षेत्रों में गिरावट दर्शाते हैं जिससे कॉर्पोरेट बिक्री और मुनाफे प्रभावित हो रहे हैं।

खेतीबाड़ी में आमदनी गिरी
यह सब शहरी और ग्रामीण आमदनी में कमी को दर्शाते हैं, मांग सिकुड़ रही है। फसल की अच्छी पैदावार से खेतीबाड़ी में आमदनी गिरी है। बड़े गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों के दिवालिया होने से क्रैडिट में ठहराव आ गया है जिससे कर्ज देने में गिरावट आई है।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!