ऑफ द रिकॉर्ड: ED और NCLT के बीच बड़ी लड़ाई से रुग्न कंपनियों की बिक्री रुकी

Edited By Pardeep,Updated: 24 Oct, 2019 04:34 AM

ed and nclt sales of companies stopped due to big fight between

एनफोर्समैंट डायरैक्टोरेट (ई.डी.) और नैशनल कम्पनी लॉ ट्रिब्यूनल (एन.सी.एल.टी.) के बीच शुरू हुई एक बड़ी लड़ाई ने रुग्न कम्पनियों की नीलामी का काम रोक दिया है। ई.डी. ने कुछ रुग्न कम्पनियों पर पी.एम.एल.ए. लगाते हुए कहा कि उन्होंने धन शोधन का काम किया है...

नेशनल डेस्क: एनफोर्समैंट डायरैक्टोरेट (ई.डी.) और नैशनल कम्पनी लॉ ट्रिब्यूनल (एन.सी.एल.टी.) के बीच शुरू हुई एक बड़ी लड़ाई ने रुग्न कंपनियों की नीलामी का काम रोक दिया है। ई.डी. ने कुछ रुग्न कंपनियों पर पी.एम.एल.ए. लगाते हुए कहा कि उन्होंने धन शोधन का काम किया है और उनकी सम्पत्ति को अटैच कर लिया है। बिक्री के लिए लगभग 1,200 रुग्न कंपनियां हैं। 
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ई.डी. द्वारा रुग्न कंपनी भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (बी.पी.एस.एल.) की सम्पत्ति अटैच करने से यह मामला भड़का। इस कंपनी को जे.एस.डब्ल्यू. स्टील द्वारा खरीदा गया था। जे.एस.डब्ल्यू. कर्जाग्रस्त बी.पी. एस.एल. के लिए लगभग 19,700 करोड़ रुपए का भुगतान करने वाली थी मगर ई.डी. द्वारा सम्पत्ति को अटैच किए जाने के बाद उसने भुगतान रोक दिया। वास्तव में ई.डी. की कार्रवाई ने एन.सी.एल.टी. की सारी प्रक्रिया को रोक दिया जो देशभर में रुग्न कंपनियों की खरीद-फरोख्त की निगरानी करती है। अब खरीदार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि नीलामी की राशि का भुगतान किए जाने के बाद कम्पनियों को पिछली सभी देनदारियों और आपराधिक मामलों से मुक्त किया जाना चाहिए। 
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ई.डी. ने भूषण पावर एंड स्टील की 4,000 करोड़ रुपए की सम्पत्ति अटैच की है। ई.डी. ने अब इससे पीछे हटने से इंकार कर दिया और अभी तक सरकार ने इस मामले में हस्तक्षेप नहीं किया। नैशनल कंपनी लॉ अपील ट्रिब्यूनल (एन.सी.एल.ए.टी.) ने ई.डी. को निर्देश दिया है कि वह सम्पत्ति को मुक्त करे और जे.एस.डब्ल्यू. स्टील से भी कहा है कि वह तब तक भुगतान न करे जब तक सम्पत्ति मुक्त नहीं हो जाती लेकिन ई.डी. एन.सी.एल.ए.टी. के आदेश को मानने के लिए बाध्य नहीं। उसका कहना है कि वह पी.एम.एल.ए. के जरिए काम करती है।
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अगर सरकार रुग्न कंपनियों की बिक्री और खरीद को तेज करना चाहती है तो उसे कानून में संशोधन करना होगा।यहीं बस नहीं, ई.डी. ने एक अपील के जरिए टैक महिन्द्रा की एक फ्रॉड केस में 822 करोड़ की सम्पत्ति को भी अटैच किया है। यह फ्रॉड सत्यम कम्प्यूटर सर्विस से संबंधित है जिसका 2009 में टैक महिन्द्रा ने अधिग्रहण किया था। यह मामला अब अदालत में है और यह खरीदारों के लिए दुस्वप्र है। 

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