ईद पर घर जाने में असमर्थ कश्मीरियों को सता रही है अपने परिवार की चिंता

Edited By prachi upadhyay,Updated: 09 Aug, 2019 08:05 PM

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प्रधानमंत्री ने बृहस्पतिवार को राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान शिमला में रहनेवाले कश्मीरी लोगों को आश्वासन दिया था कि ईद के मौके पर घाटी में रह रहे उनके परिवार के पास पहुंचाने के लिए हर संभव सहायता दी जाएगी। लेकिन बावजूद इन लोगों को जम्मू से आगे जाने...

शिमला: प्रधानमंत्री ने बृहस्पतिवार को राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान शिमला में रहनेवाले कश्मीरी लोगों को आश्वासन दिया था कि ईद के मौके पर घाटी में रह रहे उनके परिवार के पास पहुंचाने के लिए हर संभव सहायता दी जाएगी। लेकिन बावजूद इन लोगों को जम्मू से आगे जाने की इजाजत नहीं दी जा रही। अनंतनाग के रहनेवाले इरशाद ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन से एक दिन पहले यानी बुधवार की सुबह को करीब 30 कश्मीरी लोग घाटी स्थित अपने घरों के लिए रवाना हुए थे। जिसके बाद बृहस्पतिवार को जब रात को 10 बजे हमने उनसे बात की, तो उन्होने बताया कि सुरक्षाबल उन्हे जम्मू के नगरोटा से आगे जाने की अनुमति नहीं दे रहे।

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इरशाद अपने भाई परवेज के साथ सात साल पहले शिमला आए थे। यहां उनके पिताजी तीन दशक से कुली काम कर रहे हैं। ये लोग करीब 400 कश्मीरियों के साथ शिमला के माल रोड पर स्थित जामा मस्जिद में रहते हैं। उन्होने बताया कि इस वक्त शिमला में करीब सात हजार कश्मीरी रहते हैं। जिसमें ज्यादातर मजदूरी का काम करते हैं और कुछ चाय-खाने के ढाबे चलाते हैं।

पुलवामा के रहनेवाले फारूख कहते हैं कि हम हर साल ईद के मौके पर अपने घर जाते हैं। लेकिन इस बार हमें वहां जाने नहीं दिया जा रहा। जिससे हमें वहां मौजूद अपने परिवार की काफी चिंता सता रही है। वहीं बुजुर्ग गुलाम हसन कहते हैं कि हमने एक हफ्ते से अपने परिवारों से बात नहीं की है। अगर ये कश्मीर में ये धाराएं हमारे भले के लिए खत्म की गई हैं, तो वहां दूरसंचार सेवा को क्यों बंद कर दिया गया है।

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वहीं केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 और 35ए को खत्म करने के फैसले पर मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है। इशफाक अहमद कहते हैं कि, लगता है कि सरकार हमारी जमीन लेना चाहती हैं। उन्हे ये कदम उठाने से पहले उनको हमारी सलाह लेनी चाहिए थी। वहीं दूसरी तरफ मोहम्मद आमिन अहमद ने सरकार के निर्णय को समर्थन करते हुए कहा कि हटाए गए प्रावधानों से कश्मीर के केवल दो-तीन परिवारों को ही फायदा मिलता था। उन्होने उम्मीद जताई कि अब घाटी में शांति और विकास का माहौल बनेगा। 

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