प्रशांत पटेल की वजह से आया आप पार्टी में भूचाल!

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Jan, 2018 04:48 PM

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चुनाव आयोग द्वारा लाभ के पद के मामले में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की सिफारिश राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को भेज दी गई है। अब अगर राष्ट्रपति आप के विधायकों के विरुद्ध फैसला देते हैं, तो केजरीवाल सरकार के लिए यह बड़ा झटका हो...

नई दिल्ली: चुनाव आयोग द्वारा लाभ के पद के मामले में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की सिफारिश राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को भेज दी गई है। अब अगर राष्ट्रपति आप के विधायकों के विरुद्ध फैसला देते हैं, तो केजरीवाल सरकार के लिए यह बड़ा झटका हो सकता है। आईए जानते हैं उस शख्स के बारे में जिसकी वजह से पार्टी के विधायकों की सदस्यता पर खतरा मंडराने लगा। 

प्रशांत पटेल ने लगाई थी याचिका
दरअसल एक गैरसरकारी संगठन (एनजीओ) की तरफ से हाईकोर्ट में इस नियुक्ति को चुनौती दी गई, जिसमें कहा गया था कि संसदीय सचिव के पद पर आप के 21 विधायकों की नियुक्ति असंवैधानिक है। इसके बाद वकील प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास एक याचिका लगाई थी। प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास याचिका लगाकर आरोप लगाया था कि ये 21 विधायक लाभ के पद पर हैं, इसलिए इनकी सदस्यता रद्द होनी चाहिए। दिल्ली सरकार ने दिल्ली असेंबली रिमूवल ऑफ डिस्क्वॉलिफिकेशन ऐक्ट-1997 में संशोधन किया था। 

आप पार्टी ने दी दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती
वहीं आम आदमी पार्टी ने आयोग के इस फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है। आप ने आयोग के खिलाफ कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दी है। अपनी अर्जी में आप ने कहा कि आयोग ने उनकी पार्टी का पक्ष नहीं सुना। आप नेता सौरभ भारद्वाज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सब उनके इशारे पर हुआ है। सौरभ ने कहा कि जिस अधिकारी ने यह फैसला सुनाया वो मोदी के खास है। चुनाव आयुक्त ज्योति पर आरोप लगाते हुए आप नेता ने कहा कि वे मदी का कर्ज चुकाना चाहते थे।


 

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