Edited By Yaspal,Updated: 18 Aug, 2019 07:43 PM
चुनाव आयोग ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह मतदाता सूची में बहु-प्रविष्टियों की जांच के लिये नये आवेदकों और मौजूदा मतदाताओं की आधार संख्या एकत्रित करने की खातिर उसका कानूनी समर्थन...
नई दिल्लीः चुनाव आयोग ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह मतदाता सूची में बहु-प्रविष्टियों की जांच के लिये नये आवेदकों और मौजूदा मतदाताओं की आधार संख्या एकत्रित करने की खातिर उसका कानूनी समर्थन करे।
आयोग ने इस महीने की शुरुआत में कानून मंत्रालय को भेजे पत्र में प्रस्ताव रखा है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन किया जाना चाहिये ताकि निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी को मतदाता बनने के आवेदकों और पहले से ही मतदाता सूची में शामिल लोगों की आधार संख्या मांगने की अनुमति मिल सके।
अगस्त 2015 में उच्चतम न्यायालय के आधार पर दिये एक आदेश ने मतदाता सूची में बहु-प्रविष्टियों की जांच के लिये आधार को मतदाता के चुनावी डाटा से जोड़ने की चुनाव आयोग की परियोजना पर रोक लगा दी थी। चुनाव आयोग तब अपने राष्ट्रीय निर्वाचक नामावली परिशोधन एवं प्रमाणीकरण कार्यक्रम (एनईआरपीएपी) के हिस्से के रूप में आधार नंबर एकत्रित कर रहा था।
चुनाव आयोग के एक पदाधिकारी ने कहा, "चूकिं उच्चतम न्यायालय के आदेश में स्पष्ट किया गया है कि आधार नंबर लेने के लिए कानून की मंजूरी आवश्यक है लिहाजा आयोग ने चुनावी कानून में बदलाव का प्रस्ताव रखा है।"