Edited By Anil dev,Updated: 19 May, 2019 05:22 PM
आप जब वोट डालने जाते हैं तो मतदान आपकी उंगली पर स्याही का एक निशान लगा दिया जाता है। यह निशान महीना भर आपकी उंगली पर रहता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इतनी पक्की स्याही आती कहां से है। इस स्याही का उत्पादन मैसूर स्थित सरकारी क्षेत्र की कंपनी...
नई दिल्ली: आप जब वोट डालने जाते हैं तो मतदान आपकी उंगली पर स्याही का एक निशान लगा दिया जाता है। यह निशान महीना भर आपकी उंगली पर रहता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इतनी पक्की स्याही आती कहां से है। इस स्याही का उत्पादन मैसूर स्थित सरकारी क्षेत्र की कंपनी मैसूर पैंटस एंड वारनिश कंपनी द्वारा किया जाता है। जोकि अपने नाम के मुताबिक मूलत: पेंट व वार्निश बनाती है व चुनाव के मौके पर चुनाव आयोग के आर्डर पर यह स्याही भी तैयार करती है।
तीसरे आम चुनाव में हुआ था स्याही का इस्तेमाल
देश में इस तरह की स्याही बनाने वाली यह एकमात्र कंपनी है। पहली बार न मिटने वाली स्याही का इस्तेमाल तीसरे आम चुनाव में 1962 में हुआ था। इसके निर्माण की कहानी भी काफी रोचक है। इस स्याही का फार्मूला भी पेप्सी के फार्मूले की तरह ही गुप्त रखा गया है। यह फार्मूला दिल्ली स्थित नेशनल फिजिकल लैब द्वारा तैयार किया गया है जिसे कि इसके बदले में रायल्टी मिलती है। इसका मुख्य रसायन सिल्वर नाइट्रेट है जोकि पांच से 25 फीसद तक होता है। मूलत: बैंगनी रंग का यह रसायन प्रकाश में आते ही अपना रंग बदल देता है व इसे किसी भी तरह से मिटाया नहीं जा सकता है।