5 राज्यों में एक साथ चुनाव की तैयारी, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में इसी साल चुनाव!

Edited By Naresh Kumar,Updated: 14 Jun, 2019 02:51 PM

elections in delhi and jammu and kashmir this year

लोकसभा चुनावों की खुमारी से उतरे देश के 5 राज्यों में इस साल विधानसभा के चुनाव हो सकते हैं। महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभाओं का कार्यकाल इस साल नवम्बर में खत्म हो रहा है। लिहाजा इन दोनों राज्यों में अक्तूबर में चुनाव करवाए जा सकते हैं

जालंधर(नरेश): लोकसभा चुनावों की खुमारी से उतरे देश के 5 राज्यों में इस साल विधानसभा के चुनाव हो सकते हैं। महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभाओं का कार्यकाल इस साल नवम्बर में खत्म हो रहा है। लिहाजा इन दोनों राज्यों में अक्तूबर में चुनाव करवाए जा सकते हैं लेकिन इसके साथ ही भाजपा के शासन वाली झारखंड विधानसभा का कार्यकाल अगले साल जनवरी और दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल अगले साल फरवरी में खत्म हो रहा है। इनमें से झारखंड में भाजपा समय से पहले विधानसभा भंग करवाकर महाराष्ट्र और हरियाणा के साथ चुनाव करवाने की सिफारिश कर सकती है जबकि दिल्ली में समय से चुनाव करवाने का फैसला आयोग खुद कर सकता है।

संवैधानिक तौर पर आयोग के सामने इस मामले में कोई अड़चन नहीं है क्योंकि किसी भी विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने से 6 महीने पहले तक संवैधानिक तौर पर चुनाव करवाए जा सकते हैं। इस बीच जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर भी अटकलें शुरू हो गई हैं। चुनाव आयोग ने कुछ दिन पहले ही आधिकारिक तौर पर यह स्पष्ट किया है कि आयोग इसी साल के अंत में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव करवाने की सम्भावना पर विचार कर रहा है। माना जा रहा है कि अमरनाथ यात्रा पूरी होने के बाद केन्द्र सरकार और गृह मंत्रालय राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति का विशलेषण करेगा और यदि सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ और राज्य की कानून व्यवस्था सही हुई तो जम्मू-कश्मीर में भी इन चारों राज्यों के साथ चुनाव करवाए जा सकते हैं। अमरनाथ यात्रा अगस्त के दूसरे सप्ताह में खत्म होगी। इसके बाद ही स्थिति के आकलन और राजनीतिक दलों के साथ बैठक के बाद चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जा सकता है।

अमित शाह ने तय किए बड़े लक्ष्य
इस बीच भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने हरियाणा, झारखंड के चुनाव के लिए लक्ष्य भी तय कर लिए हैं। इन तीनों राज्यों की कोर कमेटियों के साथ हुई बैठक में अमित शाह ने हरियाणा के लिए 90 में से 75, झारखंड के लिए 81 में से 65 सीटों का लक्ष्य रखा है। पिछली बार हरियाणा में भाजपा ने 46 और झारखंड में 37 सीटें जीती थीं। महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ सीटों के आबंटन को लेकर स्थिति साफ नहीं हुई है। लिहाजा इस बारे में भाजपा शिवसेना के साथ सीटों का आबंटन होने के बाद ही कोई फैसला लेगी।

पस्त विपक्ष का फायदा उठाना चाहती है भाजपा
भाजपा महाराष्ट्र और हरियाणा के साथ-साथ झारखंड में चुनाव करवाने का दाव इसलिए भी खेल रही है क्योंकि विपक्ष में इस समय बड़े पैमाने पर फूट पड़ी हुई है और मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस अंदरूनी संकट से जूझ रही है। हरियाणा में कांग्रेस का सबसे बुरा हाल है जहां प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर चुनाव में हार के बाद भी अध्यक्ष बने हुए हैं, जबकि भूपेन्द्र सिंह हुड्डा का खेमा उन्हें अध्यक्ष पद से हटाने पर उतारू है। यही हालात महाराष्ट्र में हैं। महाराष्ट्र में एन.सी.पी. संकट के दौर से गुजर रही है और उसके नेताओं पर केन्द्रीय एजैंसियों ने शिकंजा कसा हुआ है। कांग्रेस की हालत भी महाराष्ट्र और दिल्ली में बहुत अच्छी नहीं है। आम आदमी पार्टी भी यहां कमजोर नजर आ रही है। लिहाजा विपक्षी कमजोरी का फायदा उठा कर भाजपा जल्दी चुनाव का दाव खेलना चाहती है।

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