Edited By ,Updated: 30 Mar, 2016 06:50 PM
भारतीय सेना दुश्मन से मुकाबले के लिए जमीन से हवा में मार करने वाली इसराइल निर्मित मिसाइलों पर अपनी मुहर लगा सकती है।
नई दिल्लीः भारतीय सेना दुश्मन से मुकाबले के लिए जमीन से हवा में मार करने वाली इसराइल निर्मित मिसाइलों पर अपनी मुहर लगा सकती है। कहा जा रहा है कि सेना ने देश में निर्मित आकाश को अपने बेड़े में आगे शामिल करने से मना कर दिया है, जिससे मोदी सरकार की मेक-इन-इंडिया पॉलिसी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक सेना ने 14,180 करोड़ रुपए की पहली दो खेप के ऑर्डर के बाद साफ तौर पर कहा है कि अब वह और अधिक आकाश रेजिमेंट नहीं चाहती है। इससे पहले नेवी ने भी तकनीकी वजहों से आकाश मिसाइल को अपने जंगी जहाजों पर तैनात करने से इंकार कर दिया था।
एक सूत्र के मुताबिक, आकाश मिसाइल सेना की प्रतिरक्षा जरूरतों पर खरा नहीं उतरता। इसकी जगह पर वह इसराइल निर्मित चार QR-SAM मिसाइल हासिल करना चाहती है। दिलचस्प बात यह है कि वायुसेना ने 15 आकाश मिसाइलें अपने बेड़े में शामिल किया है। इसकी लागत 10,900 करोड़ रुपए आंकी गई है। एयरफोर्स ने इनमें से 6 को पूर्वोत्तर में चीन के सैन्य चुनौती से निपटन के लिए तैनात किया है।लेकिन आर्मी का कहना है कि वायुसेना के ठिकाने देश के भीतरी इलाकों में है जबकि युद्ध के अग्रिम मोर्चे पर उसे QR-SAM मिसाइलों की जरूरत है।