Edited By Seema Sharma,Updated: 07 Nov, 2018 06:56 PM
आरबीआई के गवर्नर और वित्त मंत्री के बीच चल रही खींचातानी खुल कर सामने आ गई है। आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल और वित्त मंत्री अरुण जेतली के बीच पैदा हुई तल्खी सार्वजनिक हो चुकी है।
नई दिल्ली: आरबीआई के गवर्नर और वित्त मंत्री के बीच चल रही खींचातानी खुल कर सामने आ गई है। आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल और वित्त मंत्री अरुण जेतली के बीच पैदा हुई तल्खी सार्वजनिक हो चुकी है। इसे लेकर विपक्षी दलों के अलावा कई पूर्व बैंक अधिकारी बयानबाजी कर रहे हैं। वहीं, इस पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक बयान का इन दिनों काफी जिक्र हो रहा है। मनमोहन सिंह ने अपनी बेटी दमन सिंह की किताब 'स्ट्रिक्टली पर्सनल: मनमोहन गुरुशरण' में कहा था कि वित्त मंत्री का दर्जा हमेशा ही रिजर्व बैंक के गवर्नर से ऊपर होता है, इसलिए वही असली बॉस है। बता दें कि मनमोहन सिंह आरबीआई के गवर्नर भी रह चुके हैं।
पूर्व पीएम ने किताब में कहा था कि आरबीआई गवर्नर सरकार के सामने तभी अड़ सकता है, जब वह नौकरी छोड़ने का मन बना ले। यह किताब 2014 में प्रकाशित हुई थी। सिंह ने आरबीआई में अपने दिनों को याद करते हुए कहा था कि मुझे कोई भी फैसला लेने से पहले हमेशा सरकार को विश्वास में लेना होता था, क्योंकि यह गिव एंड टेक वाला रिश्ता रहता है। रिजर्व बैंक का गवर्नर वित्त मंत्री के आदेश को टाल नहीं सकता।
इंदिरा गांधी की सरकार के साथ हुआ था टकराव
किताब में मनमोहन सिंह ने 1983 में इंदिरा गांधी की सरकार का जिक्र भी किया है, जब उन्हें कई कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा था। किताब में जिक्र है कि एक वक्त ऐसा भी आया था, जब बैंकों को लाइसेंस देने के संबंध में रिजर्व बैंक की स्वायत्तता प्रभावित होने की आशंका से मनमोहन सिंह ने इस्तीफा देने का मन बना लिया था। लेकिन आखिरकार अनबन खत्म हुई। मनमोहन सिंह की किताब में दिया बयान मौजूदा मोदी सरकार के लिए काफी महत्वपूर्ण है।