तनाव में दिल्ली पुलिस- हर 35 दिन में एक कर्मी करता है सुसाइड, अब तक 37 ने की खुदकुशी

Edited By Seema Sharma,Updated: 18 Oct, 2020 02:44 PM

every 35 days a delhi police employee commits suicide

दिल्ली पुलिस के कर्मी किस कदर तनाव में रहते हैं, इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि बीते साढ़े तीन साल में औसतन हर 35 दिन में एक कर्मी ने आत्महत्या की। दिल्ली पुलिस ने की ओर से सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत दायर आवेदन के जवाब में बताया...

नेशनल डेस्कः दिल्ली पुलिस के कर्मी किस कदर तनाव में रहते हैं, इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि बीते साढ़े तीन साल में औसतन हर 35 दिन में एक कर्मी ने आत्महत्या की। दिल्ली पुलिस ने की ओर से सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत दायर आवेदन के जवाब में बताया कि जनवरी 2017 से 30 जून 2020 तक बल के 37 कर्मियों और अधिकारियों ने आत्महत्या की है। लेकिन खुदकुशी करने वालों में सबसे ज्यादा संख्या सिपाही और प्रधान सिपाही स्तर के कर्मियों की है। पुलिस से मिली सूचना के मुताबिक, पिछले 42 महीनों में 14 कर्मियों ने ड्यूटी के दौरान जान दी, जबकि 23 कर्मचारियों ने ‘ऑफ ड्यूटी' आत्महत्या की। दिल्ली पुलिस, RTI के तहत सामने आई जानकारी पर आधिकारिक तौर पर कुछ भी बोलने को राजी नहीं हुई, लेकिन निजी बातचीत में कई कर्मियों ने कहा कि बल के कर्मी लंबी ड्यूटी की वजह से काफी तनाव में रहते हैं और संभवत: इस वजह से वे जिंदगी को खत्म करने जैसा अतिवादी कदम उठा लेते हैं।

 

दिल्ली पुलिस से RTI आवेदन में पूछा गया था कि जनवरी 2017 से 30 जून 2020 तक कितने कर्मियों ने खुदकुशी की है और उनका रैंक क्या है। पुलिस ने अपने जवाब में बताया कि आत्महत्या करने वालों में 13 सिपाही, 15 प्रधान सिपाही, तीन सहायक उपनिरीक्षक (ASI), तीन उपनिरीक्षक (SI) और दो निरीक्षक शामिल हैं। ड्यूटी के दौरान 14 कर्मियों ने खुदकुशी की, जिनमें छह प्रधान सिपाही, चार सिपाही, एक ASI और एक SI शामिल हैं। वहीं ‘ऑफ ड्यूटी' अपनी जान देने वालों में नौ सिपाही, छह प्रधान सिपाही, दो एएसआई, दो एसआई और एक निरीक्षक शामिल हैं। जवाब में पांच कर्मियों की खुदकुशी के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई कि उन्होंने ड्यूटी के दौरान आत्महत्या की या ‘ऑफ ड्यूटी' के समय। इनमें एक निरीक्षक, एक ASI और तीन प्रधान सिपाही शामिल हैं। ये कर्मी सुरक्षा इकाई में तैनात थे।

 

पुलिस ने बताया कि अपनी जान देने वाले कर्मियों में दो महिला सिपाही भी शामिल हैं। इनमें से एक द्वारका जिले में तैनात थीं जबकि दूसरी तृतीय वाहिनी से संबंधित थीं। इस बाबत पुलिस के प्रवक्ता ई सिंघला से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने सवालों का जवाब नहीं दिया। वहीं, पुलिस के प्रधान सिपाही और सिपाही स्तर के कर्मियों ने बताया कि थानों में स्टॉफ की कमी है, जिस वजह से दबाव ज्यादा है। 12-12 घंटे की ड्यूटी करनी पड़ती है। उन्होंने बताया कि कई कर्मियों की ड्यूटी पिकेट पर भी लगा दी जाती है और बीट की जिम्मेदारी भी दी जाती है, जिससे काम का दबाव और बढ़ जाता है। इसके अलावा उन्हें साप्ताहिक अवकाश भी नहीं मिलता है। कर्मियों ने बताया कि अगर रात पाली में ड्यूटी लगी है और अगले दिन का अदालत का समन है तो वहां भी पेश होना होता है।

 

इस बीच कोई आराम नहीं मिलता है और रात में फिर ड्यूटी करनी होती है, जिससे नींद पूरी नहीं होती है। साथ में काम के दबाव के कारण निजी जीवन के लिए वक्त नहीं मिल पाता है। इन कारणों से कर्मी चिड़चिड़े हो जाते हैं, तनाव में आ जाते हैं और अपनी जान देने तक का कदम उठा लेते हैं। उधर, उत्तर-पूर्वी दिल्ली के एक थाने के प्रभारी (SHO) ने कहा कि थाने में तैनाती के दौरान दबाव तो रहता है, लेकिन 30 प्रतिशत काम का दबाव होता है और 70 प्रतिशत निजी जिंदगी का। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस काफी लचीलापन रखती है, अगर मैं लिखकर दे दूं कि मुझे थाने में तैनाती नहीं चाहिए तो मेरा तबादला हो जाएगा।'' वहीं, एम्स के मनोश्चिकित्सा एवं राष्‍ट्रीय औषध निर्भरता उपचार केंद्र के डॉक्टर श्रीनिवास राजकुमार टी ने बताया कि दिल्ली पुलिस में खुदकुशी का औसत काफी ज्यादा है।

 

आत्महत्या का राष्ट्रीय औसत प्रति लाख पर 11 का है। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर कर्मियों को संवेदनशील करने की जरूरत है तथा समय-समय पर उनकी जांच होनी चाहिए। डॉ. श्रीनिवास ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या का मामला किसी के साथ भी हो सकता है। यह वैसा ही है, जैसे बुखार हो जाता है। इसलिए इसे किसी कमजोरी के तौर पर नहीं लेना चाहिए। इसकी पहचान कर डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। बिना दवाई के जीवन शैली में बदलाव कर इसका उपचार संभव है। उन्होंने बताया कि इंसान जब तनाव को बर्दाश्त नहीं कर पाता है और समाज उसकी मदद नहीं करता है तो उसे कोई उम्मीद नहीं दिखती है तथा वह अपनी जान देने जैसा कदम उठा लेता है। 

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