Edited By Yaspal,Updated: 28 Nov, 2019 10:17 PM
जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने वहां पर अपने कार्यकाल के दौरान सुरक्षा हालात का गुरुवार को जिक्र करते हुए कहा कि हर रात उन्हें ‘पाकीजा'' फिल्म की एक गजल की आखिरी लाइन ‘आज की रात बचेंगे, तो सहर देखेंगे'' याद आती थी। उन्होंने कहा कि...
पणजीः जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने वहां पर अपने कार्यकाल के दौरान सुरक्षा हालात का गुरुवार को जिक्र करते हुए कहा कि हर रात उन्हें ‘पाकीजा' फिल्म की एक गजल की आखिरी लाइन ‘आज की रात बचेंगे, तो सहर देखेंगे' याद आती थी। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने के बाद वहां कोई भी अप्रिय घटना नहीं हुई है। इस महीने के शुरू में गोवा के राज्यपाल के तौर पर शपथ लेने वाले मलिक का कहना है कि उनमें कश्मीर का ‘खुमार' अबतक खत्म नहीं हुआ है। वह जम्मू कश्मीर राज्य के आखिरी राज्यपाल थे। केंद्र ने पांच अगस्त को राज्य के विशेष दर्जे को खत्म कर दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था।
मलिक ने कहा, ‘‘ मुझे पाकीजा फिल्म की एक गजल की आखिरी लाइन हर रात याद आती थी। गजल कुछ इस तरह थी ‘आज हम अपनी दुआओं का असर देखेंगे, तीरे नजर देखेंगे ,आप तो आंख मिलाने से भी शर्माते हैं, आप तो दिल के धड़कने से भी डर जाते हैं ,उस पर जिद ये है कि हम जख्में जिगर देखेंगे,' लेकिन मुझे इसकी आखिरी पंक्ति ही याद आती थी कि ‘आज की रात बचेंगे तो सहर देखेंगे।' उन्होंने कहा कि इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वहां हालात कितने खराब थे और जिंदगी हर समय दांव पर लगी होती थी।
राज्यपाल ने कहा, ‘‘ आज की रात बचेंगे तो सहर देखेंगे। वहां काफी खतरे थे... मेरे वहां पहुंचने के बाद, 17 साल के अंतराल के पश्चात वहां पंचायत चुनाव हुए। सभी पार्टियों ने उनका बहिष्कार किया, हुर्रियत ने बहिष्कार किया, आतंकवादियों ने धमकी दी थी कि वे सभी प्रत्याशियों को मार देंगे।'' मलिक ने कहा, ‘‘ आपको जानकर खुशी होगी कि 4000 लोगों को चुना गया था और कोई हताहत नहीं हुआ था। एक चिड़िया तक हताहत नहीं हुई। यह कश्मीर के इतिहास में अनोखी घटना थी।''