लोकतंत्र की मजबूती के लिए खुद की आचार संहिता बनाये हर राजनीतिक दल: उपराष्ट्रपति

Edited By shukdev,Updated: 14 Aug, 2019 08:37 PM

every political party should make its own code of conduct vice president

उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने बुधवार को कहा कि संसदीय लोकतंत्र की मजबूती के लिए हर राजनीतिक दल को अपने सदस्यों के लिए खुद आचार संहिता बनानी चाहिए। नायडू ने बिड़ला सभागार में पूर्व उपराष्ट्रपति स्व. भैरोंसिंह शेखावत की स्मृति में आयोजित...

जयपुर: उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने बुधवार को कहा कि संसदीय लोकतंत्र की मजबूती के लिए हर राजनीतिक दल को अपने सदस्यों के लिए खुद आचार संहिता बनानी चाहिए। नायडू ने बिड़ला सभागार में पूर्व उपराष्ट्रपति स्व. भैरोंसिंह शेखावत की स्मृति में आयोजित एक व्याख्यान में कहा, ‘अब समय आ गया है जब संसदीय लोकतंत्र की मजबूती के लिए हर राजनीतिक दल को अपने सदस्यों के लिए स्वयं ही आचार संहिता का निर्माण करने की दिशा में सोचना चाहिए।' 

उन्होंने कहा कि राजनीति चार ‘सी' ‘कैरेक्टर, कैलिबर, कैपेसिटी और कन्डक्ट' की मर्यादा में रहते हुए की जानी चाहिए जबकि आज व्यवहार में राजनीति अन्य चार ‘सी' ‘कास्ट, कम्युनिटी, कैश और क्रिमिनलिटी' के आधार पर की जा रही है। इसलिए जरूरी है कि सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी आचार संहिता बनाएं ताकि भारत का लोकतंत्र मजबूत हो सके। उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्व.शेखावत ने संसदीय लोकतंत्र की परम्पराओं को सुदृढ़ करने के लिए भारत के उपराष्ट्रपति, राज्य के मुख्यमंत्री और दस बार विधानसभा सदस्य के रूप में अमूल्य योगदान दिया है। 

उन्होंने कहा कि शेखावत उस परम्परा के वाहक थे जिसमें राजनीतिक मतभेद के बावजूद विरोधियों से भी सौहार्दपूर्ण सम्बन्ध रहते थे। आज यह परम्परा कहीं पीछे छूटती जा रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र की मजबूती के लिए यह जरूरी है कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी को राजनीतिक शत्रु न समझा जाए, उनके प्रति कोई कटुता न रखी जाए। उन्होंने कहा कि वह बड़ी वेदना से कह रहे हैं कि आज राजनीतिक मूल्यों में कमी आई है, आज विपक्ष के साथ समन्वय का भाव कम होता जा रहा है। लोकतंत्र में सरकार ‘प्रपोज' करे, विपक्ष ‘अपोज' करे और सदन ‘डिस्पोज' करे सबकी अपनी भूमिका है। इसके लिए विपक्ष के पास अपनी बात कहने का अधिकार होना जरूरी है।

 इस अवसर पर राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ.सी.पी.जोशी ने कहा कि शेखावत संसदीय परम्पराओं के पुरोधा, संसदीय मूल्यों के रक्षक और अपनी विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध राजनेता थे। इस अवसर पर राज्यसभा सदस्य ओमप्रकाश माथुर, विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया और विधायक नरपतसिंह राजवी भी मौजूद थे।

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