Edited By vasudha,Updated: 22 Jul, 2018 05:20 PM
असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के प्रकाशन से पहले केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है और सभी वास्तविक भारतीयों को अपनी नागरिकता साबित करने के पर्याप्त अवसर दिए जाएंगे...
नेशनल डेस्क: असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के प्रकाशन से पहले केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है और सभी वास्तविक भारतीयों को अपनी नागरिकता साबित करने के पर्याप्त अवसर दिए जाएंगे। गृह मंत्री ने ट्वीट कर कहा कि एनआरसी, जिसमें असम के नागरिकों की सूची है, को 15 अगस्त 1985 को हस्ताक्षरित ‘ असम समझौते ’ के अनुरूप प्रकाशित किया जा रहा है और लगातार इस प्रक्रिया की निगरानी कर रहे उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पूरा पालन किया जा रहा है। राजनाथ ने कहा कि डरने या घबराने का कोई कारण नहीं है। किसी को परेशान नहीं होने दिया जाएगा। हम सुनिश्चित करेंगे कि हर व्यक्ति को इंसाफ मिले और उससे मानवीय तरीके से व्यवहार किया जाए।
गृह मंत्री ने आश्वस्त किया कि पूरी तरह निष्पक्ष, पारदर्शी और प्रभावी तरीके से एनआरसी की कवायद चल रही है और यह काम इसी तरह जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि सभी लोगों को कानून के तहत उपलब्ध सभी उपायों का पर्याप्त मौका मिलेगा। प्रक्रिया के हर चरण में सभी लोगों को अपनी बात कहने के पर्याप्त अवसर दिए जा रहे हैं। राजनाथ ने कहा कि कानून के मुताबिक, पूरी प्रक्रिया चल रही है और उचित प्रक्रिया पालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार साफ कर देना चाहती है कि 30 जुलाई को प्रकाशित होने जा रहा एनआरसी सिर्फ एक मसौदा है और मसौदे के प्रकाशन के बाद दावों और आपत्तियों के लिए पर्याप्त अवसर उपलब्ध रहेंगे।
राजनाथ ने कहा कि सभी दावों और आपत्तियों का उचित रूप से परीक्षण किया जाएगा। दावों और आपत्तियों के निपटारे से पहले अपनी बात रखने के पर्याप्त अवसर दिए जाएंगे। इसके बाद ही अंतिम एनआरसी प्रकाशित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस बाबत असम सरकार को हर जरूरी मदद मुहैया कराएगी। एनआरसी का पहला मसौदा बीते 31 दिसंबर और एक जनवरी की दरम्यानी रात को प्रकाशित हुआ था जिसमें 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए थे।
बांग्लादेश से सटे असम में अवैध प्रवासियों की पहचान के मकसद से एनआरसी के प्रकाशन की कवायद की जा रही है। केंद्र एवं राज्य सरकारों एवं ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के बीच हुई बैठकों के बाद 2005 में लिए गए एक फैसले के बाद एनआरसी के प्रकाशन की कवायद की जा रही है। 20वीं सदी की शुरुआत से ही बांग्लादेश से लोगों के असम में आने का सिलसिला चलता रहा है। असम भारत का एकमात्र राज्य है जहां एनआरसी की व्यवस्था है। पहला एनआरसी 1951 में तैयार किया गया था।