अच्छे दिन ऐसे आ पाएंगे

Edited By ,Updated: 15 Mar, 2016 04:37 PM

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लोकसभा में वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा 29 फरवरी को पेश किए गए आम बजट में सोने के गहनों पर एक फीसदी एक्साइज़ ड्यूटी

लोकसभा में वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा 29 फरवरी को पेश किए गए  आम बजट में सोने के गहनों पर एक फीसदी एक्साइज़ ड्यूटी लगाने की घोषणा की गई जिस पर बाजार में बवाल मचा हुआ है। इसके अनुसार यदि कोई दो लाख से ज़्यादा गोल्ड की खरीदारी करता है तो उसे पैन कार्ड नंबर देना अनिवार्य होगा। वित्त मंत्री की इस घोषणा का ज्वैलर्स ने कड़ा विरोध किया जो आज तक जारी है। देश के विभिन्न शहरों में आए दिन इसके विरोध में प्रदर्शन किए जा रहे हैं। 17 मार्च को देशव्यापी प्रदर्शन की घोषणा हो चुकी है। हालांकि सरकार ने यह भी कहा है एक्साइज ड्यूटी 12 करोड़ से अधिक कारोबार करने वालों को ही देनी होगी,लेकिन लगता है कि यह बात ज्वैलर्स तक स्पष्ट रूप में नहीं पहुंच पाई है। सरकार ने एक्साइज ड्यूटी से चांदी के गहनों को दूर रखा गया है। शादी—ब्याह में चांदी के गहने तो होते ही नहीं है। ज्यादा से ज्यादा चांदी की पाजेब हो सकती है या थाल आदि सामान। मुख्य तौर पर सोने के गहनों का वजन देखा जाता है और इसी से दोनों पक्षों की प्रतिष्ठा जुड़ी होती है।  

यदि पैन कार्ड की बात​ करें तो यह अधिकांश लोगों के पास नहीं है। देश में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिन्होंने पैन कार्ड नहीं बनवाया है। इनमें गांवों में रहने वालों की संख्या कहीं ज्यादा है। जब सरकार ने आधार कार्ड की विशेषताओं का प्रचार करते हुए कुछ कार्योंं मै इसे दिखाना अनिवार्य कर दिया था तो नि:शुल्क बनाए जा रहे इस कार्ड के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। इस कार्ड को आज भी लोग बनवा रहे हैं। पैन कार्ड की समझ सबको नहीं है,निजी तौर पर फार्म देने और शुल्क लेकर इसे बनवाने का ठेका तो दे दिया गया है,किंतु लगता नहीं कि लोगों ने इसमें अधिक रुचि ली हो। 

याद रहे कि ज्वैलर्स ने एक्साइज़ ड्यूटी के विरोध में 2012 में भी 17 दिनों तक हड़ताल की थी। तत्कालीन यूपीए सरकार ने आम बजट में एक्साइज़ ड्यूटी लगाने की बात कही थी। उस समय के वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी (वर्तमान में राष्ट्रपति) ने सोने पर लगाई गई एक्सट्रा एक्साइज़ ड्यूटी को वापस लेने की घोषणा कर दी थी। दिलचस्प बात यह है कि आजकल सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य नेताओं के पुराने ट्वीट शेयर किए जा रहे हैं। नरेंद्र मोदी तब गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने 28 मार्च 2012 को अपने ट्वीट में नरेंद्र मोदी ने गैर ब्रांड ज्वेलरी पर लगाई गई एक्साइज़ ड्यूटी वापस लेने की मांग की थी। उस समय यूपीए सरकार ने दो लाख रुपए से अधिक की ज्वैलरी की ख़रीद पर टीडीएस का प्रावधान किया था। इस पर मोदी ने कहा था कि एक प्रतिशत एक्साइज़ ड्यूटी लगाने से देश में इंस्पेक्टर राज लौट आएगा।

मौजूदा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का 4 अप्रैल 2012 को किया गया एक ट्वीट भी चर्चा में है। इसे ख़ूब शेयर किया जा रहा है। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा था कि ग़ैर ब्रांड ज्वैलरी पर एक्साइज़ ड्यूटी हटनी चाहिए।  इस संबंध में वह प्रणब मुखर्जी से मिली भी थीं। अब नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं और सुषमा स्वराज विदेशी म़ंत्री। अब दोनों बताएं कि उन्होंने इस दिशा में क्या किया है। देश के लाखों सर्राफ़ा व्यापारियों के सामने रोज़ी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। केंद्र में उनकी अपनी सरकार है। मोदी ने अरुण जेटली से क्या बात की है और सुषमा उनसे इस मसले पर कितनी बार मिली हैं।

यदि सर्राफ़ा व्यापारी आरोप लगाते हैं कि ग़ैर ब्रांडेड ज्वैलरी पर एक्साइज़ ड्यूटी लगाना इस क्षेत्र के व्यापार को भी बड़े उद्योगपतियों के देने की योजना का हिस्सा है, तो सरकार अपना स्टैंड क्यों नहीं स्पष्ट कर रही। वैसे भी अंबानी और टाटा जैसे बड़े ब्रांड भी ज्वैलरी क्षेत्र में उतर चुके हैं। यह सही है कि बड़े उद्योगपति किस उत्पाद का व्यापार करते हैं इसके लिए वे स्वतंत्र हैं,लेकिन जो पहले से स्थापित ज्वैलर्स हैं सरकार को उनके हितों की रक्षा भी करनी है। यदि उन्हें सरकार की नीति पर कोई संशय है तो उसके सारे बिंदुओं को वित्त मंत्री को ही साफ करना होगा। यदि कई दिनों से उनकी दुकानें बंद हैं ऐसे में क्या उनके अच्छे दिन आ पाएंगे। 

सरकार अपने निर्णय से टस से मस नहीं हो रही है। उसका कहना है कि वह एक्साइज ड्यूटी पर रोल बैक की मांग स्वीकार नहीं करेगी। ज्वैलर्स भी अडिग हैं कि जब तक सरकार एक्साइज़ ड्यूटी में बढ़ोत्तरी को वापस नहीं लेगी, तब तक उनकी हड़ताल जारी रहेगी। उनके इस निर्णय से आम जनता परेशान है,जिन गहनों के आर्डर दिए जा चुके हैं वे वापस मिले नहीं। शादी की तिथि तय होने से जिन्हें गहने बनवाने हैं उनके आर्डर लिए नहीं जा रहे। बिना गहनों के शादी होना कठिन होता है। कितनी शादियों की तारीखें आगे कर दी जाएंगी। क्या कम समय में सारे आर्डर पूरा करना संभव हो पाएगा। इस पर न सरकार और न ही ज्वैलर्स सोच रहे हैं।

भारत हर साल 900 टन सोना आयात करता है। इसमें से 550 टन का इस्तेमाल जूलरी बनाने में होता है। सिर्फ़ जूलरी पर ही 1 प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी क्यों लगाई जा रही है। सरकार सोना आयात पर एक प्रतिशत आयात ड्यूटी लगा दे। इससे उसी की कमाई बढ़ेगी। दूसरा, दूसरे देशों से मंगाए जा रहे सोने पर नज़र रखना भी उसके लिए आसान होगा।

अब वित्त मंत्री जीएसटी का हवाला देते हुए कह रहे हैं कि इसके लागू होने से एक्साइज इंस्पेक्टर ज्वैलर्स की दुकानों पर नहीं जाएगा। उन्हें अपने चार्टर्ड एकाउंटेंट का सर्टीफिकेट ही देना होगा। जीएसटी के पारित होने पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं। ऐसे में क्या सरकार इसे 1 अप्रैल से लागू करवा पाएगी।

एक्साइज ड्यूटी के संबंध में प्रधानमंत्री मोदी वित्त मंत्री से बात करके बातचीत का रास्ता निकाल सकते हैं। जिससे पिछले 13 दिनों से देश की अर्थव्यवस्था को जो नुकसान हो रहा है उसे को रोका जाए।

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