‘कोबरा' कमांडो को देख पत्नी के छलक उठे आंसू , 6 दिन बाद बेटी के चेहरे पर आई मुस्कान

Edited By vasudha,Updated: 09 Apr, 2021 12:07 PM

family happy after seeing cobra commando

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों द्वारा अगवा किए गए ‘कोबरा'' कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास की मुक्ति की खबर के बाद जम्मू स्थित उनके घर पर पसरा सन्नाटा उत्सव में बदल गया। मन्हास की पत्नी ने इसे जीवन का सबसे खुशी का पल करार दिया। वही मन्हास की पांच वर्षीय बेटी ...

नेशनल डेस्क:  छत्तीसगढ़ में नक्सलियों द्वारा अगवा किए गए ‘कोबरा' कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास की मुक्ति की खबर के बाद जम्मू स्थित उनके घर पर पसरा सन्नाटा उत्सव में बदल गया। मन्हास की पत्नी ने इसे जीवन का सबसे खुशी का पल करार दिया। वही मन्हास की पांच वर्षीय बेटी  मोबाइल फोन पर अपने पिता की तस्वीर चूमते हुए दिखाई दी।

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 परिवार के छलक उठे आंसू
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच तीन अप्रैल को हुई मुठभेड़ के बाद अगवा किये गए 210वीं कमांडो बटालियन फॉर रिजॉल्यूट ऐक्शन (कोबरा) के कांस्टेबल राकेश्वर सिंह मन्हास को जब एक न्यूज चैनल पर एम्बुलेंस से उतरते देखा गया तो उनके परिवार के सदस्यों के आंसू छलक आए।  इस मौके का एक वीडियो भी जारी किया  गया, जिसमें सैकड़ों ग्रामीणों की मौजूदगी में सशस्त्र माओवादी कमांडो को मुक्त करते दिख रहे हैं।

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 मेरे जीवन का सबसे खुशी का पल: कमांडो की पत्नी
मन्हास की पत्नी मीनू ने अपने घर पर संवाददाताओं से कहा कि यह मेरे जीवन का सबसे खुशी का पल है। मीनू ने कहा कि मुझे हमेशा ही उनकी वापसी का पूरा भरोसा रहा। मैं केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार का धन्यवाद करना चाहती हूं। साथ ही उन सभी लोगों का आभार व्यक्त करती हूं जोकि परीक्षा की इस घड़ी में हमारे साथ खड़े रहे।'' बीजापुर-सुकमा जिले की सीमा पर तीन अप्रैल को नक्सलियों द्वारा घात लगाकर किये गए हमले के बाद हुई मुठभेड़ में 22 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गये जबकि 31 अन्य घायल हो गए थे।

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जवान का  स्वास्थ्य ठीक है: सीआरपीएफ
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने एक बयान में कहा कि जवान का  स्वास्थ्य ठीक है और मुक्त होने के तत्काल बाद उसका अनिवार्य विस्तृत स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। कांस्टेबल ने फोन सेअपने परिवार के लोगों से बातचीत की। प्रदेश सरकार के एक बयान में कहा गया कि मन्हास को सामाजिक कार्यकर्ता पद्मश्री धर्मपाल सैनी, माता रुक्मणी आश्रम जगदलपुर, एक अन्य व्यक्ति तेलम बोरैय्या और आदिवासी समाज, बीजापुर के वरिष्ठ अधिकारियों के प्रयासों से मुक्त कराया जा सका। बयान में कहा गया कि कमांडो को मुक्त कराने में गणेश मिश्रा और मुकेश चंद्राकर जैसे स्थानीय पत्रकारों ने भी अहम भूमिका निभाई।

 

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