Edited By ,Updated: 30 May, 2016 08:33 PM
दान करने की परम्परा भारत में कई युगों से चली आ रही है। देश मे कई तरह के दान किये जाते है। लेकिन नेत्र दान, रक्तदान को सबसे बड़ा दान माना जाता रहा है।
रायपुर (कीर्ति राजेश चौरसिया): दान करने की परम्परा भारत में कई युगों से चली आ रही है। देश मे कई तरह के दान किये जाते है। लेकिन नेत्र दान, रक्तदान को सबसे बड़ा दान माना जाता रहा है। इनके लिए केंद्र और राज्य सरकारे लगातार आम जनो को विज्ञापनों के माध्यम से प्रेरित भी करती आ रही है। लेकिन अब समय बदल रहा है नेत्र और रक्त के बाद अब लोग अपना देहदान करने की इच्छा रखने लगे है।
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में प्रणाम नामा की संस्था कई वर्षो से इस कार्य में लगी है और कई लोगों का देहदान भी करवा चुकी है। इसके लिए बकायदा देहदान करने वालों से सटाम्प आदि भरवाया जाता हैं। वहीं इससे प्रेरित होकर एक ही परिवार के 32 सदस्यों ने एक साथ देहदान करने का संकल्प लिया और अपनी वसीयत लिखी। देहदान करने वालों में 19 साल के युवा से लेकर 65 साल तक के महिला, पुरुष बुजुर्ग शामिल हैं। देहदान करने वालों का शारीर मरणोपरांत मेडिकल कालेज को दे दिया जायेगा जहां के मेडिकल छात्र इसका उपयोग पढाई में करेंगी और जरुरतमंद लोगों को इनका लाभ दिया जाएगा। वहीं 2008 से लेकर अब तक लगभग 500 लोगों का देहदान करा चुके प्रणाम संस्था के अध्यक्ष ने ऐसे कार्यों के लिए सरकारी मदद की जरुरत बतायी है जो फिलहाल उन्हें नहीं मिल रही है। ताकि इस पुनीत कार्य को और जोर-शोर के शुरू कर लोगों को देहदान के प्रति जाग्रत कर सकें।