Edited By Anil dev,Updated: 04 May, 2019 09:08 AM
भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक साल 1891 से 2017 तक करीब 14 तूफान बंगाल की खाड़ी से उठे थे मगर एक को छोड़कर कोई भी भारत नहीं आ पाया था मगर इस बार ‘फनी’ ने इस रिकॉर्ड को तोड़ दिया। ओडिशा की सीमा पर इसके प्रवेश करते समय ‘फनी’ की रफ्तार 200 कि.मी. प्रति...
नई दिल्ली: भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक साल 1891 से 2017 तक करीब 14 तूफान बंगाल की खाड़ी से उठे थे मगर एक को छोड़कर कोई भी भारत नहीं आ पाया था मगर इस बार ‘फनी’ ने इस रिकॉर्ड को तोड़ दिया। ओडिशा की सीमा पर इसके प्रवेश करते समय ‘फनी’ की रफ्तार 200 कि.मी. प्रति घंटा थी।
मौसम विभाग के अनुसार फनी 3 दशकों में अब तक के सबसे खतरनाक तूफानों में से एक है। इससे पहले साल 2013 में फैलिन नामक चक्रवाती तूफान ने ओडिशा में कहर बरपाया था। फैलिन तूफान का केन्द्र गोपालपुर था। इससे लाखों लोग प्रभावित हुए थे, जबकि 2,400 करोड़ रुपए की धान की फसल बर्बाद हो गई थी। फनी के आने से पहले ही यैलो वॉॄनग दी गई थी जो ओडिशा के तटीय इलाकों के आस-पास भारी बारिश और समुद्र में तेज लहरों के उठने का संकेत थी। वैज्ञानिक भाषा में यैलो वॉॄनग का मतलब है मौसम में गड़बड़ी। इससे जन जीवन प्रभावित हो सकता है। यह भविष्य में भारी तबाही का कारण भी बन सकता है इसलिए लोगों को सतर्क रहने की हिदायत दी जाती है।
दिल्ली-एन.सी.आर., यू.पी. व बिहार में फनी ने दी दस्तक
ओडिशा में तबाही मचाने के बाद शाम को यू.पी., बिहार व दिल्ली-एन.सी.आर. के इलाकों में फनी ने जबरदस्त दस्तक दी है। इसकी वजह से देश के अन्य राज्यों में भी तेज हवाएं और बारिश शुरू हो गई है। कई इलाकों में शाम 5 बजे से ही गहरा अंधेरा छा गया था।
गृह मंत्रालय का हैल्पलाइन नम्बर 1938 चालू
तूफान फनी से संबंधित जानकारी के लिए गृह मंत्रालय ने हैल्पलाइन नम्बर 1938 शुरू किया है। गृह मंत्रालय के अनुसार इस हैल्पलाइन पर चक्रवाती तूफान से संबंधित घटनाक्रम की जानकारी हासिल की जा सकती है। विभिन्न मंत्रालयों ने भी तूफान के मद्देनजर नियंत्रण कक्ष बनाए हैं जहां से तूफान से संबंधित जानकारी ली जा सकती है।
माला, हेलेन, नरगिस : कैसे रखे जाते हैं चक्रवातों के नाम?
माला, हेलेन, नरगिस और निलोफर...ये गुजरे जमाने की बॉलीवुड अदाकाराओं के नाम जैसे सुनाई भले ही देते हों, लेकिन दरअसल ये जानलेवा चक्रवाती तूफानों के नाम हैं जिन्होंने अपने प्रभाव क्षेत्रों में काफी तांडव मचाया है। ‘फनी’ का नाम बंगलादेश ने सुझाया था। भारतीय मौसम विभाग (आई.एम.डी.) के अतिरिक्त महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि ‘फनी’ का मतलब सांप का फन है लेकिन सवाल है कि इन चक्रवातों के नाम कैसे रखे जाते हैं। विश्व मौसम विज्ञान संगठन/एशिया आॢथक एवं सामाजिक आयोग और पैसेफिक पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन ओमान के मस्कट में वर्ष 2000 में आयोजित अपने 27वें सत्र में इस बात पर सहमत हुए थे कि वे बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में आने वाले चक्रवाती तूफानों के नाम तय करेंगे।
सदस्य देशों के बीच लंबे विचार-विमर्श के बीच उत्तर हिंद महासागर में आने वाले चक्रवाती तूफानों का नामकरण सितम्बर 2004 से शुरू हुआ। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से सटे 8 देश नामों के सुझाव देते हैं, जिन्हें क्रमिक तौर पर सूचीबद्ध किया गया है। इन देशों में बंगलादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल हैं। यह देश वर्णक्रमानुसार तूफानों के नाम सुझाते हैं। यहां स्थित क्षेत्रीय विशेषीकृत मौसम विज्ञान केंद्र (आर.एस.एम.सी.) नामों की सूची से चक्रवाती तूफानों को एक पहचान देता है। इस पहचान प्रणाली के दायरे में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों आते हैं।