सुपर साइक्लोन से भी खतरनाक है 'फनी', जानिए तूफानों का क्यों रखा जाता है नाम

Edited By Anil dev,Updated: 03 May, 2019 03:48 PM

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भयंकर चक्रवाती तूफान फनी 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ओडिशा में पुरी के तटीय इलाकों में पहुंच गया है और आज सुबह से पुरी तथा अन्य तटीय इलाकों में बारिश हो रही है तथा तेज हवाएं चल रही हैं।  पुरी के तट पर 200 किमी प्रतिघंटे की तफ्तार से हवाएं...

नई दिल्ली: भयंकर चक्रवाती तूफान फनी 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ओडिशा में पुरी के तटीय इलाकों में पहुंच गया है और आज सुबह से पुरी तथा अन्य तटीय इलाकों में बारिश हो रही है तथा तेज हवाएं चल रही हैं।  पुरी के तट पर 200 किमी प्रतिघंटे की तफ्तार से हवाएं चल रही हैं। हवा की इतनी तेज रफ्तार देखकर लोग दंग है। ओडिशा में हाई अलर्ट है। 

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सुपर साइक्लोन से हुई थी 9885 लोगों की मौत 
जानकारी मुताबिक फनी तूफान ओडिशा में 1999 में अक्टूबर के अंत में आए सुपर साइक्लोन से भी खतरनाक साबित हो सकता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 20 साल पहले आए सुपर साइक्लोन से 9885 लोगों की मौत हुई थी। लाखों हेक्टेयर खेतों में लगी फसलें बर्बाद हो गईं थीं। इस दिन को आज भी काला शुक्रवार माना जाता है। अब फेनी की आशंका के चलते फिर से राज्य के लोगों में डर का माहौल है। 

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तूफानों का क्यों रखा जाता है नाम 
आपको बतां दे कि तूफानों का नाम इसलिए रखा जाने लगा ताकि रिकॉर्ड में आसानी से ढूढा जा सके। विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने तूफानों के नाम रखने की शुरुआत की थी। 118 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाले तूफानों को बेहद गंभीर की श्रेणी में रखा गया। 221 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के तूफान को सुपर चक्रवाती तूफान की कैटेगरी में रखा गया।  गौर करने वाली बात यह है कि एक नाम दस सालों में दोबारा इस्तेमाल नहीं होता। बहुत ज्यादा तबाही मचान वाले तूफान का नाम को दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता। याद रखने में आसानी के लिए इन तूफानों का नाम छोटा रखा जाता है।


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ये 8 देश रखते हैं नाम
1953 से मायामी नेशनल हरीकेन सेंटर और वल्र्ड मीटरियोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (डब्लूएमओ) तूफ़ानों और उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम रखता रहा है। लेकिन उत्तरी हिंद महासागर में उठने वाले चक्रवातों का कोई नाम नहीं रखा गया था। ऐसे में, भारत की पहल पर 2004 में हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देशों ने तूफानों के नामकरण की व्यवस्था शुरू की गई। बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, थाईलैंड और श्रीलंका इनमें शामिल हैं। भारत ने अब तक 32 तूफानों में से चार को नाम दिया है - लहर, मेघ, सागर और वायु। वहीं, पाकिस्तान की तरफ से मंजूर नामों में फानूस और नर्गिस है।


 

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