Edited By Yaspal,Updated: 12 Jan, 2021 06:58 PM
किसान संगठनों ने किसानों की समस्याओं को लेकर उच्चतम न्यायालय की ओर से गठित समिति से अपने को अलग करते हुए मंगलवार को कहा कि 26 जनवरी के बाद भी उनका आन्दोलन जारी रहेगा। संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि सुप्रीम...
नेशनल डेस्कः किसान संगठनों ने किसानों की समस्याओं को लेकर उच्चतम न्यायालय की ओर से गठित समिति से अपने को अलग करते हुए मंगलवार को कहा कि 26 जनवरी के बाद भी उनका आन्दोलन जारी रहेगा। संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन कृषि सुधार कानूनों के लागू होने पर रोक लगा कर सरकार को झटका दिया है। किसानों का संघर्ष जारी है और आगे भी जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि समिति में जिन चार लोगों के नाम का प्रस्ताव किया गया है, वे पहले से ही इस कानून के पक्ष में लेख लिखते रहे हैं।
किसान नेता बलवंत सिंह राजेवाल ने कहा कि समिति में जिन सदस्यों को शामिल किया गया है, वे सरकार के समर्थक रहे हैं और कानूनों को सही ठहराते रहे हैं। किसान नेता जगमोहन सिंह ने कहा कि किसानों के मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालने के लिए समिति का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि किसानों का आन्दोलन शांतिपूर्ण और अनिश्चितकालीन है।
किसान नेता रमिन्दर पटियाल ने कहा कि किसान संगठनों का 26 जनवरी का कार्यक्रम ऐतिहासिक होगा। उन्होंने कहा कि तीन कृषि सुधार कानूनों को संसद ने बनाया है, इसलिए इसे सरकार को वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों की लड़ाई सरकार से है। एक अन्य किसान सुरजीत सिंह फूल ने कहा कि किसान समिति का हिस्सा नहीं होंगे। उन्होंने न्यायालय पर विश्वास जताते हुए कहा कि किसानों की समस्याओं को सुलझाने के लिए गठित समिति पर उन्हें विश्वास नहीं है।
उल्लेखनीय है कि किसान संगठन तीन कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा देने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमरओं पर पिछले 48 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान संगठनों के साथ सरकार की आठ दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन उनकी मुख्य मांगों पर गतिरोध बना हुआ है।