अगले तीन महीने में कितने रंग लाएगी किसान राजनीति

Edited By vasudha,Updated: 03 Oct, 2018 11:15 AM

farmer politics will bring so many colors in the next three months

विभिन्न मांग के समर्थन में किसानों के प्रदर्शन के दौरान हुई पुलिस कार्रवाई के विरोध के बहाने विपक्षी दल अब मोदी सरकार को घेरने में जुट गए हैं। विपक्षी पार्टियों ने न केवल आंदोलनरत किसानों पर पुलिस कार्रवाई को बर्बरतापूर्ण कार्रवाई बताया है...

नई दिल्ली (नवोदय टाइम्स): विभिन्न मांग के समर्थन में किसानों के प्रदर्शन के दौरान हुई पुलिस कार्रवाई के विरोध के बहाने विपक्षी दल अब मोदी सरकार को घेरने में जुट गए हैं। विपक्षी पार्टियों ने न केवल आंदोलनरत किसानों पर पुलिस कार्रवाई को बर्बरतापूर्ण कार्रवाई बताया है बल्कि उन्होंने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए साफ तौर पर कहा कि सल्तनत का बादशाह सत्ता के नशे में है। माना जा रहा है कि यह सब बातें 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए अभी से मोदी सरकार के विरुद्ध जमीन तैयार करने की कोशिश है। साथ ही इसका असर आने वाले महीनों में राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व कई अन्य राज्यों में चुनाव पर भी पडऩा तय माना जा रहा है। 
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जानकारों की मानें तो इस खतरे को भांपते हुए संघ ने भी मोदी सरकार को चेताया था और शायद यही वजह भी थी कि खुद भाजपा सरकार ने बजट में किसानों के लिए इस बार अलग से घोषणा की थी। लेकिन इन सब बातों के बावजूद किसानों की नाराजगी लगातार बढ़ती गई है। यह भी समझा जा रहा है कि सरकार भी किसानों को प्रदर्शन समाप्त करने के लिए मनाने के तरीके में यदि सफल हो गई तो उसके लिए भी यह चुनावी बैतरणी पार करने का यह एक अच्छा अवसर साबित हो सकता है। 
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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भाजपा पर अंतरराष्ट्रीय अङ्क्षहसा दिवस के दिन दिल्ली सीमा पर किसानों की बर्बर पिटाई का आरोप लगाया और सवाल किया कि वे राष्ट्रीय राजधानी में अपनी शिकायत का जिक्र भी नहीं कर सकते। उन्होंने ङ्क्षहदी में ट््वीट किया कि विश्व अङ्क्षहसा दिवस पर भाजपा का दो-वर्षीय गांधी जयंती समारोह शांतिपूर्वक दिल्ली आ रहे किसानों की बर्बर पिटाई से शुरू हुआ। अब किसान देश की राजधानी आकर अपना दर्द भी नहीं सुना सकते। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सल्तनत का बादशाह सत्ता के नशे में है।  सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदर्शनकारी किसानों को समर्थन देते हुए आरोप लगाया कि ईंधन के बढ़े दाम और जीएसटी, नोटबंदी के कारण कृषक समुदाय बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। इसलिए वे अपनी मांग को लेकर सड़कों पर हैं। 

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वहीं आप के राष्ट्रीय प्रवक्ता राघव चड्ढा ने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर भाजपा की सरकार द्वारा वाटर केनन और आंसु गैस का प्रयोग करना बेहद शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जन्मदिन पर किसानों पर हमले से मोदी सरकार का शासन इतिहास में बड़े उद्योगपतियों के लिए सुनहरी अवधि के रूप में गिना जाएगा। इससे पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी अपने ट्वीट के जरिये कहा कि किसानों के विरोध मार्च को राजधानी में प्रवेश से रोकना गलत है। उन्होंने शहर में किसानों को प्रवेश देने की वकालत की। उनके ही सुर में सुर मिलाते हुए राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने अपने ट्वीट में कहा कि मोदी जी, माना किसान पूंजीपतियों की तरह आपकी जेबें नहीं भर सकते लेकिन कम से कम उनके सिर पर डंडे तो मत मरवाइए। अगर आपने गरीबी देखी होती तो किसानों पर इतने जुल्म नहीं करते। 

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