Edited By vasudha,Updated: 28 Nov, 2018 01:35 PM
कृषि क्षेत्र की समस्याओं पर संसद का विशेष सत्र आहूत करने की मांग को लेकर इस सप्ताह रहे देश भर के किसान संगठन दिल्ली पहुंच रहे हैं। उन्होंने सरकार को आगाह किया है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गयी तो अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में ‘नोटबंदी का...
नेशनल डेस्क: कृषि क्षेत्र की समस्याओं पर संसद का विशेष सत्र आहूत करने की मांग को लेकर इस सप्ताह रहे देश भर के किसान संगठन दिल्ली पहुंच रहे हैं। उन्होंने सरकार को आगाह किया है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गयी तो अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में ‘नोटबंदी का जवाब वोटबंदी’ से दिया जायेगा।
सरकार को किया आगाह
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्यव समिति के अध्यक्ष अशोक दांवले के अनुसार आगामी 29 और 30 नवंबर को दिल्ली में जुट रहे किसान संगठनों के आंदोलन में सरकार को स्पष्ट संदेश दिया जायेगा कि अगर कारोबारियों के हित में जीएसटी पर संसद का विशेष सत्र आहूत किया जा सकता है तो किसानों की समस्याओं पर चर्चा करने के लिये क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि इस मांग को लेकर अखिल भारतीय किसान संघ (एआईकेएस) के बैनर तले दिल्ली में किसानों का यह चौथा आंदोलन होगा। उन्होंने चुनावी साल का हवाला देते हुये सरकार को आगाह किया कि अगर ये मांगें नहीं मानी गयी तो किसान वोट के द्वारा अपनी ताकत का अहसास करायेंगे।
रामलीला मैदान में एकत्रित होंगे किसान
सिंह ने बताया कि 29 नवंबर को लगभग 200 किसान संगठनों के कार्यकर्ता दिल्ली स्थित रामलीला मैदान में एकत्र होंगे। आंदोलन की शुरुआत देर शाम रामलीला मैदान में आयोजित ‘एक शाम किसानों के नाम’ से होगी। किसान अपनी समस्याओं का रोना रोने के बजाय जश्न के माहौल में किसान अपनी मांगों को गीत संगीत और रंगमंच के माध्यम से उठायेंगे। इसमें मशहूर गायक जसबीर जस्सी, रब्बी शेरगिल, कवि हरिओम पवार और नाट्य मंच अस्मिता ग्रुप के कलाकार किसानों की मांगों को अनूठे अंदाज में पेश करेंगे।
21 राजनीतिक दलों का मिला समर्थन
यादव ने बताया कि दो दिवसीय आंदोलन को लगभग 21 राजनीतिक दलों का समर्थन मिल चुका है। इनमें राजग के भी कुछ घटक दल शामिल हैं। आंदोलन में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू सहित कुछ अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री भी शिरकत करेंगे। उन्होंने कहा कि वाजपेयी सरकार ने गन्ना किसानों की समस्याओं पर संसद का विशेष सत्र आहूत किया था, इससे सबक लेकर मोदी सरकार को भी विशेष सत्र आहूत करने में कोई हर्ज नहीं होना चाहिये।