ऑफ द रिकॉर्डः ‘गेहूं की कम खरीद से डर गए’ पंजाब व हरियाणा के किसान

Edited By Pardeep,Updated: 02 Jan, 2021 05:48 AM

farmers of punjab and haryana scared of low purchase of wheat

देश में चल रहे किसान आंदोलन से मध्य प्रदेश के किसान दूर क्यों हैं? इसका एक बड़ा कारण यह है कि पंजाब व हरियाणा या किसी और राज्य के किसानों की तुलना में मध्य प्रदेश के किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) का सर्वाधिक लाभ

नई दिल्लीः देश में चल रहे किसान आंदोलन से मध्य प्रदेश के किसान दूर क्यों हैं? इसका एक बड़ा कारण यह है कि पंजाब व हरियाणा या किसी और राज्य के किसानों की तुलना में मध्य प्रदेश के किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) का सर्वाधिक लाभ उठाया है। 

रबी मार्कीटिंग सीजन (आर.एम.एस.) 2016-17 से 2020-21 तक 5 वर्ष के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि मध्य प्रदेश के 47.58 लाख किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य का फायदा लिया जबकि इसी अवधि में पंजाब के 44.56 लाख किसानों तथा हरियाणा के 37.30 लाख किसानों ने इसका लाभ उठाया।

आंकड़ों का और गहराई से आकलन करें तो यह बात सामने आती है कि 2016-17 में पंजाब सबसे आगे था। उस समय एम.एस.पी. लेने वाले कुल 20.46 लाख किसानों में से 41 प्रतिशत अकेले पंजाब से थे। हरियाणा के 26 प्रतिशत किसानों ने तो मध्य प्रदेश के 23 प्रतिशत किसानों ने एम.एस.पी. ली थी। 2018-19 में मध्य प्रदेश ने पंजाब व हरियाणा को पछाड़ दिया। उस साल पंजाब के 23 प्रतिशत किसानों की तुलना में मध्य प्रदेश के 24 प्रतिशत (9.58 लाख) किसानों ने गेहूं की एम.एस.पी. का लाभ लिया। 

2020-21 में मध्य प्रदेश के किसानों की संख्या बढ़कर 37 प्रतिशत पहुंच गई जबकि पंजाब में यह घटकर 24 प्रतिशत और हरियाणा में 18 प्रतिशत पहुंच गई। अब भारतीय खाद्य निगम (एफ.सी.आई.) के डाटा की बात करें तो 2020-21 में मध्य प्रदेश में 129.42 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया जबकि पंजाब में 127.14 लाख मीट्रिक टन तथा हरियाणा में 74 लाख मीट्रिक टन की खरीद हुई। गेहूं की खरीद में यह धीरे-धीरे गिरावट असल में मौजूदा किसान आंदोलन के पीछे बड़ा कारण है क्योंकि किसानों को ऐसा लग रहा है कि एम.एस.पी. खत्म की जा रही है।

रबी सीजन में राज्यों के लाभ पाने वाले किसान
राज्य                                       वर्ष 2020-21
मध्य प्रदेश                                15.93 लाख
पंजाब                                       10.49 लाख
हरियाणा                                     7.80 लाख
उत्तर प्रदेश्                                6.63 लाख
राजस्थान                                  2.19 लाख

स्रोत : लोकसभा, सितम्बर 2020  

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