बारिश के बीच भी दिल्ली बॉर्डर पर डटे किसान, खराब मौसम के चलते आज होने वाला ट्रैक्टर मार्च रद्द

Edited By Seema Sharma,Updated: 06 Jan, 2021 11:16 AM

farmers on delhi border even in the midst of rain

नए कृषि कानून को लेकर केंद्र सरकार और किसानों के बीच अभी तक बात नहीं बनी है। जहां किसान तीनों कृषि कानून को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं वहीं सरकार साफ कह चुकी हैं कि इससे किसानों को ही फायदा पहुंचेगा, इसलिए इसे खत्म नहीं किया जाएगा। बारिश और...

नेशनल डेस्क: नए कृषि कानून को लेकर केंद्र सरकार और किसानों के बीच अभी तक बात नहीं बनी है। जहां किसान तीनों कृषि कानून को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं वहीं सरकार साफ कह चुकी हैं कि इससे किसानों को ही फायदा पहुंचेगा, इसलिए इसे खत्म नहीं किया जाएगा। बारिश और कड़कड़ती ठंड के बीच किसान दिल्ली के साथ लगती सीमाओं पर पिछले 42 दिनों से डटे हुए हैं। किसानों का कहना है कि कुछ भी हो जाए जब तक सरकार इन कानूनों को वापिस नहीं लेती तब तक वे बॉर्डरों से नहीं हटेंगे। 

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किसानों ने रद्द किया ट्रैक्टर मार्च
प्रदर्शनकारी किसान संघों ने 6 जनवरी को होने वाले अपने ट्रैक्टर मार्च को खराब मौसम के कारण 7 जनवरी तक के लिए टाल दिया है। हालांकि उन्होंने कहा कि वे आने वाले दिनों में अपने आंदोलन को तेज करेंगे। सिंघू सीमा पर मीडियो को संबोधित करते हुए स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि नए कानूनों को जारी हुए ‘सात महीने हो गए' और सरकार तब से अब तक किसानों के साथ सात दौर की वार्ता कर चुकी है लेकिन उसने किसानों के ‘सात शब्द' भी नहीं सुने जो हैं: ‘हम कृषि कानूनों की वापसी चाहते हैं'। किसान नेताओं ने कहा कि हजारों किसान सात जनवरी को सिंघू, टीकरी, गाजीपुर और शाहजहांपुर (हरियाणा-राजस्थान सीमा) में सभी प्रदर्शन स्थलों से कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) के लिए ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। यादव ने कहा कि बुधवार को खराब मौसम की संभावना के बाद मार्च को टालने का फैसला किया गया है। 

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26 जनवरी को महिलाओं का ट्रैक्टर मार्च 
किसान नेता जोगिंदर नैन ने 26 जनवरी को दिल्ली के लिए प्रस्तावित एक और ट्रैक्टर मार्च के बारे में कहा कि हम हरियाणा के हर गांव से 10 ट्रैक्टर ट्रॉलियां भेजेंगे। हम लोगों से अनुरोध करते हैं कि हर घर से कम से कम एक व्यक्ति और एक गांव से कुल 11 महिलाएं आएं। ऑल इंडिया किसान संघर्ष कॉर्डिनेशनल कमेटी (AIKSSC) के नेता अवीक साहा ने मंगलवार को फेसबुक के माध्यम से संवाद करते हुए कहा कि सरकार ने दावा किया है कि किसानों की 50 प्रतिशत मांगें मान ली गई हैं लेकिन पहले दिन से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग सबसे ऊपर है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोई दस्तावेज नहीं डाला है या किसान संगठनों के साथ साझा नहीं किया है जो स्पष्ट करता हो कि सरकार मान गई है और इसे कैसे लागू करेगी।

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8 जनवरी को फिर होगी वार्ता
किसानों और सरकार के बीच 4 जनवरी को बातचीत हुई थी लेकिन यह बेनतीजा रही। वहीं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि 8 जनवरी को आगामी बैठक में समाधान निकलेगा, लेकिन ताली दोनों हाथों से बजती है। 

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बता दें कि इन कानूनों को सितंबर में लागू किया गया था। इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अध्यादेश के रूप में इन्हें जून में मंजूरी दी थी और इन्हें लागू किया गया था। केंद्र के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए 28 नवंबर से पंजाब, हरियाणा और देश के अन्य कई हिस्सों से आए हजारों किसान दिल्ली की अनेक सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

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