Edited By Tanuja,Updated: 16 Oct, 2019 05:20 PM
वित्तीय कार्रवाई कार्यबल ( FATF) ने पाकिस्तान सरकार को झटका देते हुए उसे फरवरी 2020 तक ग्रे लिस्ट में रखने का फैसला लिया है ...
इंटरनेशनल डेस्कः वित्तीय कार्रवाई कार्यबल ( FATF) ने पाकिस्तान सरकार को झटका देते हुए उसे फरवरी 2020 तक ग्रे लिस्ट में रखने का फैसला लिया है। FATF पाकिस्तान को निर्देश दिया है कि वह आतंकी फंडिंग और मनी लांड्रिंग को खत्म करने के लिए ज्यादा कदम उठाए। हालांकि औपचारिक तौर पर फैसला 18 अक्तूबर को आएगा। एफएटीएफ एक अंतर-सरकारी निकाय है जिसे फ्रांस की राजधानी पेरिस में जी7 समूह के देशों द्वारा 1989 में स्थापित किया गया था। इसका काम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धन शोधन (मनी लांड्रिंग), सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और आतंकवाद के वित्तपोषण जैसी गतिविधियों पर नजर रखना है। इसके अलावा FATF वित्त विषय पर कानूनी, विनियामक और परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा भी देता है।
पेरिस में मंगलवार को हुई बैठक में FATF ने पाकिस्ताव द्वारा मनी लांड्रिंग और आतंकी फंडिंग को लेकर उठाए गए कदमों की समीक्षा की। जिसके बाद FATF ने पाकिस्तान को निर्देश दिया कि वह आतंकी फंडिंग को पूरी तरह से खत्म करने के लिए और सख्त कदम उठाए। अब FATF पाकिस्तान को लेकर फरवरी 2020 में अंतिम फैसला करेगा। अंतरिम घटनाक्रम के बारे में एक औपचारिक घोषणा शुक्रवार को की जाएगी। इसी दिन FATF के चालू सत्र का अंतिम दिन है। हालांकि पाकिस्तान के वित्तीय मंत्रालय के प्रवक्ता ओमर हमीद खान ने देश के ग्रे लिस्ट में बरकरार रहने वाली खबरों को खारिज किया है।
उन्होंने कहा, 'यह सच नहीं है और 18 अक्तूबर से पहले कुछ नहीं होगा।' FATF ने पाकिस्तान को बची हुई अनुशंसा को लागू करने के लिए चार महीने की राहत देने का फैसला लिया है। इससे पहले FATF एफ की पेरिस में हुई बैठक में पाकिस्तान के आर्थिक मामलों के मंत्री हम्माद अजहर ने आतंकी फंडिंग की जांच करने के लिए 27 में से 20 मापदंडों पर अपने देश के सकारात्मक प्रदर्शन की व्याख्या की थी।
चीन, तुर्की और मलयेशिया ने उसके द्वारा उठाए गए कदमों को सराहा था। किसी भी देश को ब्लैकलिस्ट से बचने के लिए तीन देशों का समर्थन चाहिए होता है। मंगलवार को हुई बैठक में भारत ने पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करने की सिफारिश की थी क्योंकि उन्होंने हाफिज सईद को सीज खातों में से पैसे निकालने की अनुमति दी थी। इस बैठक में 205 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था।