पिछले आठ महीने में एक भी दिन ऐसा नहीं गया जब मंजूर अहमद वागे ने जमीन न खोदी हो।
श्रीनगर (मोनिका जम्वाल) : पिछले आठ महीने में एक भी दिन ऐसा नहीं गया जब मंजूर अहमद वागे ने जमीन न खोदी हो। घंटो जमीन पर फावड़ा चलामा यह बाप लगातार आंसू बहाता है और तलाश करता है अपने बेटे की। उसका सैनिक बेटा आतंकियों द्वारा अगवा किया गया था और कुछ दिन बाद उसके खून से सने कपड़े मिले थे पर शव नहीं मिला।
वागे का बेटा शाकिर मंजूर टैरिटोरियल आर्मी में सैनिक था। 2 अगस्त को 56 वर्ष के मजबूर बा पके बेटे को आतंकियों ने अगवा कर लिया। उसके खून सेसने कपड़े जिस जगह मिले थे,उस जगह को आठ महीने से वो रोज खोद रहा है कि कहीं उसके बेटे का सुराग मिल जाए पर अफसोस ऐसा कुछ नहीं हो पाया। शाकिर परिवार के साथ दोपहर का खाना खाने के बाद 2 अगस्त को घर से गया और कभी लौटा कर नहीं आया।

फोन आया और फिर सन्नाटा
वगे कहता है, घर से जाने के बाद शाकिर का फोन आया था कि वो अपने दोस्तों के साथ बाहर जा रहा है और इस बारे में सेना को न बताया जाए। वागे का कहना है, उसे वास्तव में किडनैप कर लिया गया था और आखिरी बार एक फोन करने को कहा गया था।
जली हुई मिली थी गाड़ी
थ्जस दिन शाकिर घर से गया था, उसके दूसरे दिन उसकी कुलगाम में गाड़ी पूरी तरह से जली हुई मिली थी। उसके एक सप्ताह बाद लधूरा में शाकिर के घर से करीब तीन किलोमीटर दूर खून से सने कपड़े मिली थे।
सपने में दिखा था शाकिर
वागे रोते हुये कहता है, मेरी भतीजी को शाकिर सपने में दिखाथा। कहता है कि जहां उसके कपड़े मिली वहीं पर उसके शव को गाड़ा गया है। मैने पड़ौसियों से कहा कि हमे चलकर उस जगह की खुदाई करनी चाहिये ।हम तीस लोगों ने वहां खुदाई की पर कुछ नहीं मिला।
आठ महीने और जारी है खुदाई
मैं आठ महीने से सोया नहीं। कैसे सो सकता हूं। मेरा जवान बेटा गया है। उसका शव भी नहीं मिला। मैं रोज उस जगह को खोदता हूं और खोदता रहूंगा। मेरा बेटा है।

वागे करता है यह दावा
वागे कहता है कि वो जानता है कि उसके बेटे को किसने अगवा किया था। वो चार आतंकवादी थे। वे चारों मुठभेड़ में मारे गये हैं। उनमें से एक इखवानी था। मैं आतंकवादी संगठनों से संकर्प करने की कोशिश करता हूं कि मेरे बेटे का कोई सुराग दें कि आखिर उसे कहां दफनाया है पर वे कहते हैं कि उनका किडनैपर के साथ कोई वास्ता नहीं था।
आतंकवादी कर रहे हैं यह काम
शाकिर जिस दिन अगवा किया गया था उसके दूसरे दिन आतंकियों ने एक आडियो क्लिप जारी की थी। उन्होंने कहा कि था कि जिस तरह से सरकार आतंकवादियों के शवों को उनके परिवारवालों को नहीं सौंपती है, ठीक उसी तरह से सैनिकों के शवों के भी उनके परिवार को नहीं दिया जाएगा। 2020 में सेना ने मुठभेड़ के दौरान मारे गये सिविल नागरिकोंके शवों को भी कोविड के कारण परिवारों को नहीं सौंपा था और उन्हें बहुत दूर दफन किया था।
टापको बता दें कि पुलिस रिकार्ड में शाकिर को लापता दर्ज किया है और पुलिस ने उसे अभी तक मरा हुआ नहीं माना है।
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