FB पोस्ट मामला:ममता सरकार को SC की फटकार-'लाइन मत क्रॉस करो, भारत को आजाद रहने दो'

Edited By Seema Sharma,Updated: 29 Oct, 2020 04:35 PM

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सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार के बारे में फेसबुक पर कथित तौर पर पोस्ट करने के मामले में दिल्ली की एक निवासी को जांच अधिकारी द्वारा वहां तलब किए जाने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इन्दिरा...

नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार के बारे में फेसबुक पर कथित तौर पर पोस्ट करने के मामले में दिल्ली की एक निवासी को जांच अधिकारी द्वारा वहां तलब किए जाने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि अदालतों को पुलिस जांच के मामले में न्यायिक समीक्षा करते समय संयम बरतना चाहिए। दरअसल दिल्ली निवासी एक महिला को कथित रूप से फेसबुक पोस्ट के लिए कोलकाता पुलिस ने समन भेजा था। महिला ने कोरोना महामारी के बीच कोलकाता के भीड़भाड़ वाले राजा बाजार इलाके की तस्वीर शेयर करके लॉकडाउन नियमों को लेकर ममता सरकार की ढिलाई सवाल उठाए थे।

 

कोर्ट में कार्रवाई लंबित होने के दौरान धारा 41ए के तहत भेजे गए समन का अनुपालन करने की जरूरत नहीं है। पीठ ने कहा कि ‘‘अत: हम याचिकाकर्ता को बालीगंज थाने में जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने संबंधी हाईकोर्ट के निर्देश के अमल पर अंतरिम रोक लगाते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह राहत इस शर्त के साथ है कि याचिकाकर्ता जांच अधिकारी द्वारा उसके पास भेजे गये सवालों के जवाब देने का आश्वासन देगी और अगर जरूरी हुआ तो 24 घंटे के पूर्व नोटिस पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये इनका जवाब देगी।

 

कोलकाता पुलिस को फटकार
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और इंदिरा बनर्जी की बेंच ने फटकार लगाते हुए कहा कि अगर राज्यों की पुलिस इस तरह से आम लोगों को समन जारी करने लग जाएगी तो यह एक खतरनाक ट्रेंड होगा। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा, 'लाइन मत क्रॉस कीजिए। भारत को एक आजाद देश बने रहने दीजिए। भारत में हर किसी को बोलने की आजादी है और हम सुप्रीम कोर्ट के रूप में फ्री स्पीच की रक्षा करने के लिए हैं। संविधान ने इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट बनाया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य आम नागरिकों को प्रताड़ित न करें। पीठ ने कहा कि न्यायालयों को आगे बढ़कर अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार की रक्षा करनी होगी जो कि संविधान के आर्टिकल 19(1)A के तहत हर नागरिक को मिला हुआ है। पीठ ने कहा कि यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए में प्रदत्त अधिकारों का इस्तेमाल लोगों को डराने, धमकाने और परेशान करने के लिए नहीं हो। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि उनकी मुवक्किल हर तरह से सहयोग करेगी, हालांकि 5 जून, 2020 के बाद से पांच महीने बीत जाने के बावजूद अभी तक कोई सवाल नहीं किए गए हैं। 

 

कोलकाता पुलिस ने दिल्ली निवासी रोहिणी बिश्वास के खिलाफ नफरत फैलाने के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी। कोर्ट में सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार के काउंसिल आर बंसत ने कहा कि महिला से सिर्फ पूछताछ की जाएगी, उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि यह किसी नागरिक के अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार को धमकाने जैसा है। किसी के खिलाफ इसलिए केस नहीं चलाया जा सकता कि उसने लॉकडाउन के नियमों के ठीक से संचालित न होने की बात कही। रोहिणी बिश्वास ने फेसबुक पर दो तस्वीरें पोस्ट की थी जिसमें कोलकाता के राजाबाजार में लॉकडाउन का अनुपालन नहीं किया जा रहा है और इस दौरान हजारों लोग एक साथ सड़क पर निकले थे, महिला ने इसको लेकर ममता सरकार से सवाल पूछा था, इसी पोस्ट को लेकर महिला के खिलाफ मामला दर्ज किया गया और उसे कोलकाता पुलिस के सामने पेश होने को कहा गया।

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