#Exclusive Interview: ‘मैंटल’ और ‘नॉर्मल’ को परिभाषित करेगी ‘जजमैंटल है क्या’

Edited By Chandan,Updated: 19 Jul, 2019 10:44 AM

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अपने नाम को लेकर लंबे समय तक विवादों में रही साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म ‘जजमैंटल है क्या’ आखिरकार 26 जुलाई को रिलीज होने को तैयार है। इस फिल्म में कंगना रनौत और राजकुमार राव पांच साल बाद फिर एक साथ नजर आएंगे। फिल्म की कहानी एक लड़के और एक लड़की की है,...

नई दिल्ली। अपने नाम को लेकर लंबे समय तक विवादों में रही साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म (Psychological Thriller Film) ‘जजमैंटल है क्या’ (JudgeMentall Hai Kya) आखिरकार 26 जुलाई को रिलीज होने को तैयार है। इस फिल्म में कंगना रनौत और राजकुमार राव पांच साल बाद फिर एक साथ नजर आएंगे। फिल्म की कहानी एक लड़के और एक लड़की की है, जो थोड़े अजीब हैं। इस फिल्म के जरिए ये बताने की कोशिश की गई है कि थोड़ा अजीब होना एक नॉर्मल बात है। इस फिल्म में आपको डार्क ह्यूमर का भी तड़का देखने को मिलेगा। इस फिल्म को डायरैक्ट किया है नैशनल अवॉर्ड विजेता प्रकाश कोवलमुडी ने और इसे प्रोड्यूस किया है एकता कपूर ने। फिल्म प्रोमोशन के लिए दिल्ली पहुंची कंगना और राजकुमार राव ने पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स/ जगबाणी/ हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश...

बेहतरीन संदेश देती है ये फिल्म : कंगना रनौत
बॉबी गिरेवाल बाटलीवाला का किरदार थोड़ा सनकी (अब्नॉर्मल) है, वो पूरी तरह से हिली हुई है। उसे डिसोसिएटिव पर्सनैलिटी नाम का डिस्ऑर्डर है जिसके कारण जब वो किसी भी सिचुएशन में होती है तो उसे समझ नहीं आता कि उसकी लाइफ में हो रहा है या फिर किसी और की। जैसे उसकी शादी हो रही है तो उसे समझ नहीं आएगा कि उसकी शादी हो रही है या किसी और की। इस डिस्ऑर्डर के कारण उसके साथ कुछ ऐसे हादसे होते हैं, जिनके साथ उसकी जिंदगी आगे बढ़ती है और रोमांचक मोड़ ले लेती है। फिल्म की सबसे खास बात ये है कि इसमें अब्नॉर्मल इंसान के साथ-साथ नॉर्मल इंसान के कैरेक्टर को दिखाया है, जिसे राजकुमार राव निभा रहे हैं। इसमें आप देखेंगे कि मैंटल तो मैंटल होते ही हैं लेकिन नॉर्मल इंसानों की क्या परिभाषा है और किस हद तक उन्हें नॉर्मल कहा जा सकता है। ये कह सकती हूं कि फिल्म बहुत अच्छा संदेश देती है।

कंट्रोवर्सी का नहीं उठाया फायदा
फिल्म का नाम कई बार बदला गया। पहले बॉबी, फिर मैंटल है क्या और अब जजमैंटल है क्या। कई फिल्में नाम बदलने के बाद ज्यादा चली हैं और कई बार कम। हम उम्मीद कर रहे हैं कि नाम बदलना हमारे लिए अच्छा साबित हो। सैंसर बोर्ड को सिर्फ फिल्म के नाम में मैंटल शब्द से परेशानी थी जिसे हमने बदल दिया। नाम को लेकर हुई कंट्रोवर्सी का हमने कोई नाजायज फायदा नहीं उठाया।

अपने बलबूते मिला सब
‘तनु वेड्स मनु’ और ‘मणिकर्णिका‘ के बाद बहुत चेंजिस आए हैं। इन फिल्मों के बाद और अच्छे रोल मिल रहे हैं, जो कोई सोच भी नहीं सकता। मेरी पर्सनल ग्रोथ तो हुई ही है, स्पैशएली ऑडियंस के साथ और ये सब मुझे अपने बलबूते मिला है।

 फिल्म से जुड़ने की थी दो वजह : राजकुमार राव
इस फिल्म से जुड़ने की सबसे वजह इसकी कहानी थी, जो मेरी बाकी फिल्मों से बहुत ही अलग है। दूसरी वजह थी एकता कपूर, जिन्होंने इस फिल्म को बनाया है। वो मेरे परिवार जैसी हैं और उनके साथ मेरे करियर की शुरूआत हुई थी। ये दोनों इतनी बड़ी वजह थीं कि मेरे पास मना करने का कोई ऑप्शन ही नहीं था।

फिल्म से मिला कुछ अलग करने का मौका
केशव का किरदार मेरे बाकी किरदारों से काफी अलग है। इस तरह का थ्रिलर किरदार मैंने पहले कभी अपने करियर में नहीं निभाया। आपको फिल्म के अंत तक नहीं समझ आएगा कि फिल्म के दोनों लीड एक्टर्स के किरदारों के दिमाग में क्या चल रहा है, कौन सच्चा है और कौन झूठा। इस कहानी को जिस तरह से लिखा गया है, वो बहुत ही मजेदार है। इस फिल्म में मेरे लिए कुछ अलग करने का मौका था। इस फिल्म के जरिए मुझे फिजिकली भी खुद को बदलने का मौका मिला।

कंगना और मेरे बीच नहीं आया कोई बदलाव
ये पूछे जाने पर कि कंगना के साथ पहले काम करने और अब पांच साल बाद काम करने में क्या फर्क महसूस किया, इस पर राजकुमार राव कहते हैं ‘बस इतना फर्क आया है कि अब हम दोनों को ज्यादा एक्सपीरियंस है लाइफ का, ज्यादा काम कर चुके हैं। ये कह सकते हैं कि दोनों एक एक्टर के तौर पर ग्रो कर चुके हैं। बाकी सब पहले की तरह ही है, जैसे हम दोनों पहले दोस्त थे, वैसे आज भी हैं।’

रियल में नहीं हूं जजमैंटल
रियल लाइफ में मैं बहुत जजमैंटल नहीं हूं लेकिन क्योंकि हम सभी इंसान हैं इसलिए कभी न कभी हम सब जजमैंटल हो ही जाते हैं। जब कोई मुझे गलत तरीके से जज करता है तो मैं उस पर ज्यादा रिएक्ट नहीं करता हूं क्योंकि हर किसी का अपना नजरिया होता है और आपको अपनी सच्चाई पता होती है। अगर आपके बारे में कोई कुछ गलत लिख रहा है तो आपको पास दो ही ऑप्शन बचते हैं, या तो आप उनसे फोन पर बात करके मामले को सुलझाएं या फिर सिर्फ अपने काम पर ध्यान दें।

सोशल मीडिया लोगों का पावरफुल हथियार
सोशल मीडिया के रूप में हर किसी के पास एक हथियार आ गया है। कई बार हम ज्यादा बोल जाते हैं बिना ये सोचे कि किसी पर इसका बुरा असर पड़ सकता है। हां, अगर सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो सोशल मीडिया बहुत ही पावरफुल है और बहुत ही इन्र्फोमेटिव है। बस, हमें ध्यान में रखना चाहिए कि जब सोशल मीडिया पर हम कुछ लिखते हैं तो थोड़ा सोच-समझकर और थोड़ा जिम्मेदार बनकर लिखें।

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