Edited By Yaspal,Updated: 06 Apr, 2019 07:36 PM
बिहार की हाइप्रोइफाइल सीटों में शुमार पटना साहिब से फिल्मी सितारे को उम्मीदवार बनाना कांग्रेस के लिए अबतक अनलकी साबित होता रहा है। कांग्रेस ने इस सीट पर अबतक दो बार फिल्मी सितारों पर दाव लगाया और दोनों ही बार उसे हार का मुंह देखना पड़ा...
पटनाः बिहार की हाइप्रोइफाइल सीटों में शुमार पटना साहिब से फिल्मी सितारे को उम्मीदवार बनाना कांग्रेस के लिए अबतक अनलकी साबित होता रहा है। कांग्रेस ने इस सीट पर अबतक दो बार फिल्मी सितारों पर दाव लगाया और दोनों ही बार उसे हार का मुंह देखना पड़ा। वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद वर्ष 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में पटना सीट पटना साहिब हो गयी। इस वर्ष छोटे पर्दे के अमिताभ कहे जाने वाले अभिनेता शेखर सुमन कांग्रेस की टिकट पर पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे।
वहीं, भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा चुनावी मैदान में थे। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने भी इस सीट पर विजय कुमार को उम्मीदवार बनाया था। सिन्हा ने इस सीट पर भाजपा का परचम लहराया और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी राजद के विजय कुमार को 166770 मतों से हराया। सिन्हा को 316549 जबकि विजय कुमार को 149779 मत मिले। कांग्रेस प्रत्याशी शेखर सुमन को महज 61308 मत मिले और वह तीसरे स्थान पर रहे।
इसी तरह 16वें लोकसभा चुनाव (2014) में कांग्रेस की टिकट पर भोजपुरी सिनेमा के महानायक कुणाल सिंह चुनावी समर में उतरे। वहीं, भाजपा ने एक बार फिर सिन्हा को अपना उम्मीदवार बनाया। शत्रुध्न सिन्हा को रिकॉर्ड 485905 वोट मिले। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी कुणाल सिंह को 265805 मतो के अंतर से मात दी। सिंह को 220100 मत मिले। जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के गोपाल प्रसाद सिन्हा तीसरे स्थान पर रहे और उन्हें 91024 वोट हासिल हुये।
भाजपा से बगावत कर शत्रुघ्न सिन्हा अब वर्ष 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर पटना साहिब सीट पर चुनाव लडने जा रहे हैं। वहीं, इस सीट पर भाजपा के प्रत्याशी एवं केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। पटना साहिब सीट पर दो बार से सिने अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा विजयी होते रहें हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि शुभ मूर्हूत निकालकर कांग्रेस में शामिल हुये सिन्हा कांग्रेस के अभिनेता उम्मीदवारों के लिए अबतक अनलकी रही पटना साहिब सीट पर लकी बनकर विजयी पताका फहराते हैं या उन्हें भी हार का सामना करना पड़ता है।