ट्रैफिक फिल्म के अंदाज में मुंबई से दिल्ली पहुंचा दिल

Edited By Anil dev,Updated: 27 Jun, 2018 11:43 AM

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फिल्म ट्रैफिक तो आपने देखी ही होगी। जिसमें मनोज वाजपेयी ने एक संवेदनशील ट्रैफिक कांस्टेबल की भूमिका निभाई थी। फिल्म में 12 साल की एक बच्ची की जान बचाने के लिए ट्रैफिक कांस्टेबल ने अपनी पूरी क्षमता झोंक दी थी। नतीजतन ढाई घंटे के भीतर 160 किलोमीटर का...

नई दिल्ली(ब्यूरो): फिल्म ट्रैफिक तो आपने देखी ही होगी। जिसमें मनोज वाजपेयी ने एक संवेदनशील ट्रैफिक कांस्टेबल की भूमिका निभाई थी। फिल्म में 12 साल की एक बच्ची की जान बचाने के लिए ट्रैफिक कांस्टेबल ने अपनी पूरी क्षमता झोंक दी थी। नतीजतन ढाई घंटे के भीतर 160 किलोमीटर का सफर तय कर दिल प्रत्यारोपण के लिए सफलतापूर्वक अस्पताल पहुंचा दिया गया। बच्ची की जान बच जाती है। फिल्मी पर्दे की यह कहानी मंगलवार शाम दिल्ली और मुंबई के बीच तब हकीकत में बदल गई, जब दोनों शहरों की पुलिस की मदद से तैयार ग्रीन कॉरिडोर की मदद से मजह ढाई घंटे में 1178 किलोमीटर का सफर तय कर लिया गया। जिसके बाद 42 वर्षीय पुरुष का दिल मुंबई से दिल्ली लाकर 53 वर्षीय महिला मरीज में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित कर दिया गया।  

 कार्डियोमायोपैथी से पीड़ित महिला को थी जरूरत 
दरअसल, ओखला स्थित फोर्टिस एस्कॉर्ट अस्पताल में 53 वर्षीय महिला का लंबे समय से उपचार चल रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक महिला मरीज डाइलेटेड कार्डियोमायोपैथी बीमारी से पीड़ित थी। ऐसी स्थिति में मरीज को जीवित रखने के लिए हृदय प्रत्यारोपण ही एक मात्र विकल्प रह जाता है। फोर्टिस एस्कॉर्ट अस्पताल के डॉ. जेड एस मेहरवाल ने बताया कि मंगलवार को उन्हें अचानक सूचना मिली कि मुंबई स्थित ग्लोबल अस्पताल में एक मरीज ब्रेन डेड घोषित किया गया है। मरीज के परिजनों ने अंगदान की मंजूरी दे दी है। जानकारी मिलने के तत्काल बाद अस्पताल से एक मेडिकल टीम मुंबई के लिए रवाना हो गई। 

मुंबई से दिल्ली ऐसे पहुंचा दिल  
मुंबई से शाम करीब तीन बजकर 15 मिनट पर करीब ढाई घंटे की दूरी तय करने के बाद शाम करीब 5 बजकर 5 मिनट पर टीम हार्ट लेकर दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल हवाई अड्डे पहुंची। एयरपोर्ट से अस्पताल तक ट्रैफिक पुलिस ने 23 किमी. का ग्रीन कॉरिडोर विकसित किया।  ट्रैफिक पुलिस की मदद से मेडिकल टीम ग्रीन कॉरिडोर के जरिए  23 किलोमीटर की दूरी महज 23 मिनट में तय कर अस्पताल पहुंच गई। 

प्रत्यारोपण के लिए होते हैं महज 6 घंटे   
डॉ. जेड एस मेहरवाल ने बताया कि एक मरीज के शरीर से दिल निकालकर दूसरे मरीज के शरीर में प्रत्यारोपित करने के लिए महज 6 घंटों का समय ही होता है। अगर तय समय के अंदर दिल को प्रत्यारोपित नहीं किया गया तो अंग या तो प्रत्यारोपण के लायक नहीं रहता या फिर प्रत्यारोपण सफल नहीं होने का जोखिम बढ़ जाता है। 

प्रत्यारोपण के बाद 24 घंटे की होती है सघन निगरानी  
खबर लिखे जाने तक महिला मरीज में हार्ट ट्रांसप्लांट कर दिया गया था। डॉक्टरों के मुताबिक मरीज को निर्धारित प्रक्रिया के तहत 24 घंटे तक क्रिटिकल केयर में रखा गया है। 24 घंटे बीतने के बाद ही प्रत्यारोपण की सफलता से संबंधित परिणाम सामने आएंगे। 
 

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